वसंतोत्सव पर दो दिवसीय कार्यक्रम 'फूल रही सरसों' दूरदर्शन केंद्र में मंगलवार को शुरू हुआ। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक आलोक राज, पद्मश्री उषा किरण खान और पद्मविभूषण शारदा सिन्हा ने किया। कार्यक्रम प्रमुख डॉ. राज कुमार नाहर ने कहा कि फूल रही सरसों का अर्थ ही आनंद, उल्लास, उमंग के लिए वसंत से होता है। वसंत जीवन में सतरंगी खुशियां बिखेरता है। केंद्राध्यक्ष ध्रुव कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि गायन और कविता पाठ का आयोजन भी होता रहेगा।
पहले राउंड में कवयित्रियों ने वसंत रस से सराबोर किया। डॉ. शांति जैन ने पढ़ा फूल रही सरसों, खेतों में, वन में, उपवन में..., सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. आरती ने कविता सुनाया आया वसंत मन भी खिला फूल की तरह..., शरद की धुंध छठी खिल रही कलियां सभीे..., सुनाकर डॉ. अपर्णा त्रिपाठी ने सबको आकर्षित किया। इसके बाद डॉ. लता सिन्हा ने बगिया के लरजते पत्तों में मीठी सरगम..., सुनाया। अंत में डॉ. सविता सिंह नेपाली ने तितली आई रे वर्षा ने वाली गुईया..., कविता सुनाई।
दूसरे राउंड में लोक गायिका वंदना भारद्वाज ने विवाह गीत व झूमर से मन मोहा। उन्होंने सबसे पहले राजा जनक जी के बाग में..., सुनाया। इसके बाद मोर पिछुअरवा झिहिरिया के गछिया..., और सुंदर वरिऔ धीरे से करिऔ की शानदार प्रस्तुति दी। तबले पर डॉ. श्याम मोहन, नाल पर अर्जुन चौधरी, हारमोनियम पर प्रेम चंद लाल, इफेक्ट पर ऋषि राज और बांसुरी पर मो. सरफुद्दीन ने संगत किया। काफी इंतजार के बाद पद्मविभूषण शारदा सिन्हा ने अपनी मोहक गायन शैली से संगीत प्रेमियों को झुमाया। सब दीना बनल रहे इहे महिनवा फागुन के..., वसंत ऋतु के स्वागत में आइल वसंत ऋतु..., गाकर समां बांध दिया। स्वागत सोमा चक्रवर्ती ने और धन्यवाद ज्ञापन श्वेता सिंह ने किया। मौके पर पुलिस महानिदेशक आलोक राज, पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान, सीनियर डीसीएम दिलीप कुमार, आकाशवाणी के उप महानिदेशक वेद प्रकाश, दूरदर्शन के निदेशक विजय कुमार, गायिका नीतू नवगीत, अरुण, मनोज प्रभाकर, विवेक आजाद, रोहिणी चौधरी, ललित, उत्तिम, अनिल मिश्र उपस्थित रहे। पद्मविभूषण शारदा सिन्हा के साथ गायिका वंदना भारद्वाज।