एक प्‍यारा सा गांव-- नमन राजेंद्र-नीना मेहता को।



गजलों की दुनिया की एक बड़ी हस्‍ती राजेंद्र मेहता इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कहकर चल दिए। हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जब हमें तमाम कलाकारों के बिछड़ने पर शोक मनाना पड़ रहा है।

आकाशवाणी से उनका गहरा नाता रहा। राजेंद्र जी अकसर रेडियो के बुलावे पर सहर्ष आते रहे। बहुत कम लोगों को याद है कि राजेंद्र-नीना मेहता की जोड़ी जगजीत-चित्रा या भूपिंदर मिताली से भी पहले की जोड़ी रही है। सत्‍तर के दशक में वो साथ-साथ ग़ज़लें गा रहे थे। हालांकि लगातार उन्‍हें सन 1980 में आए अलबम 'हमसफर' में शामिल प्रेम वारबटोनी की नज़्म से पहचाना जाता रहा—

                                         'जब आँचल रात का लहराए
                                           और सारा आलम सो जाए
                                       तुम मुझसे मिलने शमा जलाकर
                                           ताजमहल में आ जाना'।

 दिलचस्‍प ये है कि सत्‍तर के दशक के प्रेमी-जोड़े जब-जब आगरा गये, जब-जब चाँदनी रात में उन्‍होंने ताज के दीदार किए—उनके होठों पर ये नज़्म सजती रही। कितनी-कितनी जिंदगियां और जवानियां इस नज्म से रोशन होती रहीं।

बहुत कम लोगों को ये बात याद है कि सन 1965 में आयी फिल्‍म 'शहीद' के गानों 'मेरा रंग दे बसंती चोला' और 'सरफरोशी की तमन्‍ना' जैसे गानों में अन्‍य गायकों के साथ राजेंद्र मेहता की भी आवाज़ थी। संगीत प्रेम धवन का था। होता ये है कि नई पीढियां अपनी आब और ताब के साथ मौसिकी की दुनिया में आती रहती हैं। अस्‍सी के दशक में जगजीत-चित्रा की तूफानी जोड़ी ने बाक़ी सब कलाकारों की चमक को धुंधला कर दिया। पर राजेंद्र-नीना मेहता के अलबम आते रहे और जब-तब चर्चित भी होते रहे।
नीना जी कुछ बरस पहले ही इस फानी दुनिया को छोड़कर चली गयी थीं। तब से राजेंद्र जी को अकेलेपन की धुंध ने घेर लिया था।

आज राजेंद्र-नीना मेहता की याद में रेडियोवाणी पर हम आपको सुनवा रहे हैं- उनका गाया एक बेहद लोकप्रिय गीत—'एक प्‍यारा सा गांव'। इसे बेमिसाल शायर सुदर्शन फाकिर ने लिखा है। अलबम है 'मंज़र मंज़र'।

मैं हमेशा कहता हूं कि हम सबके भीतर एक ग्रामीण व्‍यक्ति छिपा होता है। कुछ लोग इसे पहचान लेते हैं, कुछ लोग अपने शहरी आवरण में इसे पहचान नहीं पाते। वरना क्‍या कारण है कि राजेंद्र-नीना के गाये इस गीत को सुनकर आंखें भर आती हैं। दिल में एक अजीब-सी कसक होती है? आपको इस सवाल के साथ छोड़कर जा रहा हूं।
     


  स्रोत :युनूस खान ,उद्घोषक,विविध भारती ,मुंबई 

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