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 शास्त्रीय संगीत के वरिष्ठ कलाकार डा.तेज सिंह टाक का 2अप्रैल को लखनऊ में निधन हो गया । 72वर्षीय श्री टाक ने भातखंडे संगीत सम विश्वविद्यालय लखनऊ को अनेक वर्षों तक शास्त्रीय गायन के प्रवक्ता के रुप में अपनी सेवाएं दी थीं।वे दृष्टिबाधित होने के बावजूद बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न थे।वर्षों तक आकाशवाणी लखनऊ को ग्रेडेड कलाकार के रुप में भी अपनी सेवा देनेवाले मूलतः पंजाब के निवासी श्री टाक ने अमृतसर से उच्च संगीत विशारद एवं संगीत अलंकार, चंडीगढ़ से वायलिन में एम.ए.किया था ।उनके एक शिष्य श्री जगत पी.पांडेय बताते हैं कि उनसे सीखने वाले युवा उन्हें अपने हृदय में देवता की भांति पूजते रहे हैं और उन्होंने संगीत जगत को अनेक कालजयी पुस्तकें दी हैं।मैने,शेफाली शर्मा, डा.निर्मल दर्शन,कैलाश जोशी आदि ने उनका भरपूर सहयोग "संगीत जिज्ञासा और समाधान" नामक पुस्तक के लेखन काल मे किया था । वे आगे बताते हैं कि गुरु जी को सब कुछ याद रहता था कि किस पुस्तक के ,किस भाग के, किस पृष्ठ पर ,कौन सा श्लोक मिलेगा । एक और शिष्य डा.दीपक कुमार त्रिपाठी ने अपनी श्रद्धांजलि देते कहा कि संगीत शास्त्र और व्यवहार में उच्च कोटि के ज्ञान रखने वाले गुरु और मार्गदर्शक के अप्रतिम योगदान को संगीत जगत सदैव याद रखेगा। उनकी शोध धारा जो कि उनकी लिखी पुस्तकों के रूप में है, अनवरत संगीत के साधको का मार्गदर्शन करती रहेंगी।श्री टाक ने "सरल संगीत शिक्षा"(तीन भागों में),"नेट संगीत" ,और "संगीत-जिज्ञासा और समाधान"नामक पुस्तकें लिखी हैं जिनको संगीत जगत में महत्वपूर्ण स्थान मिला है।प्रसार भारती परिवार श्री टाक के निधन पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। प्रसार भारती परिवार प्रार्थना करता है की ईश्वर उनके आत्मा को शांति दे और उनके शोकाकुल परिवार को इस संकट की घडी को सामना करने की शक्ति प्रदान करे।

द्वारा योगदान:- प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।ईमेल; darshgrandpa@gmail.com

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