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उम्र की ऊंची पायदान पर पहुंच चुकेआकाशवाणी और दूरदर्शन के पुरोधा 84 वर्षीय श्री नित्यानंद मैठाणी इन दिनों लखनऊ के सांस्कृतिक महत्व पर एक शोधपरक पुस्तक लिखने में तल्लीन हैं। "लखनऊ का सांस्कृतिक वैभव" शीर्षक की इस पुस्तक में वे सूबा -ए- अवध में नवाबी सल्तनत से पूर्व के परिवेश के उन पहलुओं पर ख़ास तौर से प्रकाश डालना चाहते हैं जिन्हें प्राय:सामने नहीं लाया गया है। लगभग तीन सौ पृष्ठों की इस पुस्तक की पांडुलिपि प्रेस भेजी जा चुकी है और शीघ्र ही प्रकाशित भी हो जायेगी।ब्लॉग लेखक से पिछले दिनों हुई मुलाकात में श्री मैठाणी ने बताया कि इस उम्र में स्वास्थ्य की दिक्कतें आ जाने से इस पुस्तक के लेखन कार्य में गतिरोध उत्पन्न हो गया था ।ज्ञातव्य है कि श्री मैठाणी इसके पूर्व भी अनेक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं।वे भारतीय प्रसारण सेवा के प्रथम बैच के अधिकारी रहे हैं और आकाशवाणी पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकें हैं-निमाणी(गढ़वाली उपन्यास),रामदेई(गढ़वाली कविता संग्रह),याद-ए-राहत अली(जीवनवृत),पं.भास्करानन्द मैठाणी-व्यक्तित्व एवं कृतित्व(जीवन वृत्त)और गज़ल साम्राज्ञी:बेगम अख़्तर(संस्मरण) ।

प्रसार भारती परिवार को अपने इन पुरोधा पर नाज़ है और श्री मैठाणी के उत्तरोत्तर स्वस्थ होने की कामना के साथ उनकी इस पुस्तक की अपार लोकप्रियता की भी कामना करता है।

द्वारा योगदान :-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ,darshgrandpa@gmail.com

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