आकाशवाणी भोपाल राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा , विज्ञापन प्रसारण सेवा आकाशवाणी भोपाल, अतिरिक्त महानिदेशक कार्यालय ,आकाशवाणी भोपाल तथा सिविल निर्माण स्कंध कार्यालय, आकाशवाणी भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी, पखवाड़ा उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया ।
समारोह के मुख्य अतिथि थे,हिंदी के जाने-माने वरिष्ठ कवि,लेखक,समीक्षक,साहित्यकार तथा मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी,निराला सृजन पीठ तथा मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी,भोपाल के पूर्व निदेशक, डॉ. देवेंद्र दीपक। समारोह की अध्यक्षता,आकाशवाणी भोपाल के उपनिदेशक अभियांत्रिकी तथा केंद्राध्यक्ष श्री धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने की ,जबकि कार्यक्रम में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री विश्वास केलकर तथा विज्ञापन प्रसारण सेवा से,कार्यालय प्रमुख श्रीमती कविता सिंह भी उपस्थित थे ।
समारोह के आरंभ में मुख्य अतिथि,अध्यक्ष विशिष्ट अतिथि तथा विशेष अतिथि द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर, माल्यार्पण के पश्चात,दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ हुआ। ततपश्चात मुख्य अतिथि का स्वागत ,अध्यक्ष महोदय द्वारा किया गया ।
मुख्य अथिति के स्वागत उपरांत, आकाशवाणी भोपाल के पूर्व सहायक निदेशक/समन्वयक राजभाषा श्री राजीव श्रीवास्तव ने हिंदी पखवाड़े , हिंदी दिवस तथा सितंबर माह में प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले हिंदी कार्यक्रमों की उपादेयता पर विस्तार से जानकारी देते हुए, हिंदी पखवाड़ा,2019 के दौरान आयोजित,प्रतियोगिताएं तथा विविध आयोजन की जानकारी देते हुए,सभी से इनमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की.
हिंदी पखवाड़ा शुभारंभ अवसर पर, मुख्य अतिथि,डॉ.देवेंद्र दीपक ने,अपने आशीर्वचन में कहा कि, हिंदी केंद्र सरकार के कार्यालयों की राजकाज की भाषा, अर्थात राजभाषा है और केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी में कामकाज होता है, इसमें कोई संदेह नहीं, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि, हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत में सबसे अधिक बोली और समझी जाती है तथा हिंदी एक संपर्क भाषा के रूप में अपना बहुत महत्व रखती है । डॉ.दीपक ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, जो लोग या जो प्रदेश हिंदी का विरोध करते हैं उनका विरोध मुझे छद्म विरोध लगता है,यदि वास्तविक विरोध है तो वही लोग क्यों?अपने बच्चों को हिंदी पढ़ा रहे हैं । क्योंकि वे जानते हैं कि, यदि वह हिंदी नहीं पढायेंगे तो,इससे वह खुद अपना नुकसान करेंगे दरअसल इसके पीछे एक अर्थशास्त्र काम करता है वह यह कि, हिंदी के बगैर संपूर्ण भारत में,रोजगार की तलाश मुश्किल काम है ।अपनी बात को समाप्त करते हुए आपने कहा कि, हिंदी और अंग्रेजी का विरोध आपस में नहीं है,अंग्रेजी जानना बुरी बात नहीं है ,लेकिन अंग्रेज़ियत को ओढ़े रहना उचित नहीं । हमें अपनी मातृ भाषा, बोलियों और संस्कारों की सदैव रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि संस्कार ही समाज और देश को मज़बूत रखते हैं । इसके पूर्व आकाशवाणी भोपाल के केंद्राध्यक्ष श्री धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ,जैसा मुख्य अतिथि महोदय ने कहा, हिंदी एक सर्वमान्य भाषा है और संपर्क भाषा के रूप में, हिंदी के अलावा ऐसी कोई भाषा नहीं है जो देश में काम कर सके,अतः ऐसी भाषा जो सहज ,सरल अभिव्यक्ति के माध्यम से,जन-जन तक पहुंचती है,उसे संपर्क भाषा के रूप में आगे बढ़ाना हम सबका दायित्व है । श्रीवास्तव ने आगे कहा कि, आपको हिंदी की वैज्ञानिकता, जानकर अचंभा होगा कि ,म्याऊं, कलरव या भों-भों जैसे शब्द जब आप सुनते हैं तो, आपको महसूस होता है कि,पक्षी जो बोल रहे हैं वह कलरव ही है या बिल्ली जो बोलती है वह म्याऊं ही है,स्वान भों-भों ही करता है । ऐसे मूलभाव की शब्दावली, आपको हिंदी में ही देखने मिलती है । श्री श्रीवास्तव ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार के अधिकारी व कार्मिक होने के नाते हम सब का कर्तव्य है कि, हम हमारी राजकाज की भाषा अर्थात राजभाषा,हिंदी में ,अधिकाधिक काम करें और उसे संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए,हर संभव प्रयास करें ।
अध्यक्ष महोदय के संबोधन के पूर्व, आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख,श्री विश्वास केलकर ने भी,हिंदी की उपादेयता पर अपने विचार रखते हुए कहा कि ,प्रतिवर्ष हम हिंदी के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं ,इसका उद्देश्य यह है कि,हम वर्ष भर किये गए अपने कार्यों का आकलन कर सकें । आपने आगे कहा कि,मुझे नहीं लगता कि हिंदी में कार्य करने में किसी तरह की कोई कठिनाई हम सबको कभी महसूस होती है । अतः हमें ,पूरे वर्ष हिंदी में ही काम करना चाहिए,ताकि हिंदी को उसका उचित स्थान हम दिला सकें ।
राजभाषा व संपर्क भाषा हिंदी पर बोलते हुए, विज्ञापन प्रसारण सेवा की कार्यालय प्रमुख श्रीमती कविता सिंह ने,अपने संबोधन में कहा कि, अपने पूरे सेवाकाल में मैंने,हमेशा हिंदी में ही कार्य किया है और कभी यह महसूस नहीं किया कि कार्यालय में, अंग्रेज़ी में काम करना ज़रूरी है । आपने अपनी बात को द्रढ़ता से रखते हुए कहा कि,हिंदी लिखने पढ़ने और बोलने में मुझे गर्व महसूस होता है और मुझे लगता है कि, हिंदी ही एक ऐसी वैज्ञानिक भाषा है,जिसे संपर्क भाषा के रूप में हम सबको मिलकर आगे बढाना चाहिए ।
मुख्य अतिथि महोदय के संबोधन के पूर्व उनके साहित्यिक अवदान तथा संक्षिप्त जीवन का परिचय अकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम अधिकारी,श्री सचिन भागवत द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
समारोह के अंत में आकाशवाणी भोपाल के , सहायक अभियंता श्री मिथिलेश कुमार पांडे ने,मुख्य अतिथि,अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि,विशेष अथिति एवं समारोह में शामिल,चारों ही कार्यालयों के अधिकारियों और कार्मिकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया ।
समारोह आयोजन की योजना व संपूर्ण आयोजन,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी/प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्री राजेश वंजानी,के निदेशन में संपन्न हुआ तथा कार्यक्रम में श्रीमती संगीता कोष्ठा व श्री सूर्यकांत गाड़ीवान का सराहनीय योगदान रहा ।
योगदान— राजीव श्रीवास्वतव,आकाशवाणी भोपाल