उत्तर छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में संचार, सूचना व मनोरंजन का साधन विकसित करने लगभग 43 वर्ष पूर्व अंबिकापुर में स्थापित आकाशवाणी केंद्र ने इस दूरस्थ क्षेत्र में न सिर्फ लोगों को सूचना एवं संचार के साथ मनोरंजन के साधन से जोड़ा बल्कि सरगुजा क्षेत्र के लोक कलाकारों को भी स्थापित किया है। लोक कलाकारों को राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक रेडियो के माध्यम से पहुंचने का मौका मिला। आकाशवाणी अंबिकापुर के द्वारा आज भी यहां के लोक कलाकारों को जीवित रखने का काम किया जा रहा है। हर पांच वर्ष में होने वाला लोक संगीत का ऑडिशन इसका बड़ा प्रमाण है। पांच वर्ष बाद 25 नवंबर को शुरू हुए ऑडिशन में अब तक 500 से अधिक लोक कलाकारों ने ऑडिशन में हिस्सा लेकर अपनी जादुई आवाज का परीक्षण कराया है। छह दिसंबर तक होने वाले इस ऑडिशन में लगभग ढाई सौ ग्रुपों के एक हजार से अधिक कलाकार शामिल हो रहे हैं। हर रोज 30 से अधिक कलाकारों का ऑडिशन हो रहा है जिसमें नामी लोक कलाकारों के साथ नवोदित कलाकार भी शामिल हैं। महिलाओं की संख्या भी अधिक है। आकाशवाणी केंद्र परिसर में इन दिनों सरगुजिहा वाद्य यंत्र मांदर, शहनाई, झांझ, तमूरा, डफला सहित कई लोक वाद्य यंत्र लेकर कलाकार पहुंच रहे हैं। आकाशवाणी परिसर में अभ्यास के दौरान कलाकारों की प्रस्तुति से पूरा परिसर ही गुंजायमान हो रहा है। आकाशवाणी के अधिकारियों को भी इतनी उम्मीद नहीं थी कि आज के दौर में भी ऐसे कलाकार भरे हैं जो यहां की कला संस्कृति को जीवित रख रहे हैं। अधिकारी बकायदे सरगुजिहा कलाकारों को मौका दे रहे हैं और संगीत के जानकारों के द्वारा इनकी कला की परख की जा रही है। ऑडिशन के बाद परिणाम की घोषणा होगी और जो कलाकार दक्ष होंगे उन्हें आकाशवाणी के विभिन्न कार्यक्रमों में प्रस्तुत होने वाले प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में सुना जा सकेगा। आकाशवाणी अंबिकापुर सरगुजिहा कलाकारों की गायकी को सरगुजिहा कार्यक्रम चौपाल, गूंजे जंगल, गोधूली, गांव कर गीत, घर गोसाइन सहित कई ऐसे कार्यक्रम है जिसमें प्रसारित करता है। इन कलाकारों की गायकी को ग्रामीण अंचलों में खूब पसंद किया जाता है। निश्चित रूप से यह केंद्र जब से खुला है तब से सरगुजा क्षेत्र में सूचना और संचार का महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके अलावा कला, संस्कृति को भी जिंदा रखने का काम कर रहा है। वैसे भी आकाशवाणी अंबिकापुर में कई ऐसे कलाकार दिए हैं जो अपनी आवाज का जादू अपनी कला संस्कृति का जादू देश-दुनिया में बिखेर रहे। ज्ञातव्य है कि देश के नामचीन गजल गायक द्वय अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन ने आकाशवाणी अंबिकापुर से ही ऑडिशन पास किया था।
सरगुजा क्षेत्र में झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश के लोगों की भी संख्या अधिक है और सरगुजिहा के साथ भोजपुरी गीतों को पसंद करने वाले लोग भी काफी संख्या में है। इस कारण कई ऐसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमें भोजपुरी लोकगीतों का भी प्रसारण होता है। इस कारण भोजपुरी गायकी के लोक कलाकारों को भी आकाशवाणी केंद्र में ऑडिशन का मौका दिया है। काफी संख्या में भोजपुरी गीत के लोक कलाकार भी इस स्वर परीक्षण में शामिल हुए हैं।
करमा, डोमकच सहित इन गीतों के कलाकार अधिक-
आकाशवाणी अंबिकापुर में चल रहे ऑडिशन में करमा, भिनसरिहा करमा, डोमकच, रामचर्चा, किशुनखेल, अधरतिया करमा, सादरी, आठे करमा, जीवतिया करमा, छोटे साजन, बड़े साजन, बांस गीत, रिंझा करमा, ददरिया लोकगीत के कलाकार अधिक पहुंच रहे हैं। अमूमन वर्षों से यही लोकगीत सरगुजा क्षेत्र के लोगों को ज्यादा पसंद हैं। छत्तीसगढ़ी सरगुजिहा लोकगीतों के लिए बकायदे गांव कर गीत फरमाइशी कार्यक्रम भी आकाशवाणी से प्रसारित होता है जिसमें सरगुजा लोक कलाकारों के गाए इन गीतों को यहां के लोग श्रोता फरमाइश करते हैं। इसी से इन कलाकारों की स्थानीय स्तर पर लोकप्रियता का अनुमान लगाया जा सकता है।
बयान-आकाशवाणी अंबिकापुर की स्थापना सन् 1976 में हुई थी। इस दूरस्थ अंचल में संचार व सूचना का कोई और माध्यम नहीं था। तब इसकी ख्याति चरम पर थी। आज भी बरकरार रखने की कोशिश जारी है। स्थानीय कलाकारों को बड़ा मौका आकाशवाणी ने दिया है। हर पांच वर्ष में इन कलाकारों के लिए ऑडिशन रखा जाता है। इस बार सरगुजा अंचल से बड़ी संख्या में कलाकारों ने स्वर परीक्षण दे रहे हैं। यह परीक्षण छह दिसंबर तक जारी रहेगा। निश्चित रूप से आकाशवाणी अंबिकापुर इन कलाकारों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।
डॉ. सुप्रिया भारतीयन,कार्यक्रम प्रमुख, आकाशवाणी अंबिकापुर
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द्वारा अग्रेषित : श्री. झावेन्द्र कुमार ध्रुव,jhavendra.dhruw@gmail.comस्त्रोत :-https://ift.tt/2rSYTKa.