आकाशवाणी गोरखपुर के वरिष्ठ संगीत संयोजक पद पर रहते हुए पूरी दुनियां में अपनी गज़लों की गमक छोड़नेवाले उस्ताद राहत अली खां की 6दिसम्बर को 24वींपुण्यतिथि है। वर्ष1994में इसी दिन इस कलाकार ने गोरखपुर में अपनी अंतिम सांसें ली थीं।पुण्यतिथि पर उनके संगीत के दीवाने अब भी तुर्कमानपुर, गोरखपुर में स्थिति उनकी मजार पर उनको पुष्प अर्पित करते हुए अपना प्रेम प्रदर्शन करते हैं।84 वर्षीय पूर्व केन्द्र निदेशक श्री नित्यानंद मैठाणी, जिन्होंने उन पर एक पुस्तक "याद- ए -राहत अली" लिखी है और आकाशवाणी गोरखपुर में दो वर्षों तक केंद्र निदेशक के रुप में उनका सानिध्य भी पाया है , सच ही कहते हैं कि "राहत संगीत नहीं बनाता था।संगीत तो उसके हृदय से प्रवाहित होता था।अब उसके हृदय ने धड़कना बंद कर दिया है तो वह अलौकिक संगीत भी समाप्त हो गया है।"2फरवरी 1945को लखनऊ में जन्मे उस्ताद राहत अली ने मात्र आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त की थी।उनके वालिद उस्ताद हुसैन बख्श और मामू उस्ताद मकबूल हुसैन वारसी ,जो लोग आकाशवाणी में वादक कलाकार थे, ने उन्हें संगीत की बारीकियां सिखाई थीं।गायन के क्षेत्र में उनके आदर्श खां साहब उस्ताद बड़े गुलाम अली खां थे।उस्ताद राहत अली ने पहली जुलाई 1977को आकाशवाणी गोरखपुर में संगीत संयोजक पद का कार्यभार ग्रहण किया था ।आकाशवाणी की सेवा में रहते हुए मात्र 49वर्ष की उम्र में उनका इन्तेकाल हो गया था । वे उस समय संगीत के आसमान के बेहद चमकदार सितारे थे ।
उनकी एकमात्र शिष्या श्रीमती ऊषा टंडन(सेठ)ने अपने उस्ताद की कला वैभव्यता का बख़ान करते हुए कहा है;"वे एक चौमुखी कलाकार थे।एक धुन बनाने में कम्पोजर को माथापच्ची करनी पड़ती है किन्तु वे जन्मजात कलाकार थे।एक बन्द की वे क ई सूरतें ईज़ाद कर देते थे।उनके ख़जाने में संगीत के सिक्कों का अंतहीन ज़खीरा था ।"राहत भाई की वे गंडाबंध शिष्या थीं।लेकिन उनसे कुछ अवधि तक पद्मश्री मालिनी अवस्थी और दलेर मेंहदीं ने भी संगीत का ककहरा सीखा था जो आज पूरी दुनियां में उनके नाम का परचम लहरा रहे हैं।आकाशवाणी गोरखपुर उनकी स्मृति में उनकी अनमोल रिकार्डिंग पर आधारित विशेष कार्यक्रम समय समय पर करता रहा है।एक बातचीत में आकाशवाणी गोरखपुर की कार्यक्रम प्रमुख श्रीमती अनामिका श्रीवास्तव ने बताया है कि 6दिसम्बर को उनकी पुण्यतिथि पर भी एक विशेष कार्यक्रम प्रसारित किया जाएगा।इस ब्लॉग के लेखक को भी राहत भाई का भरपूर सहयोग और सानिध्य उन दिनों मिला था जब वह आकाशवाणी गोरखपुर में संगीत विभाग में कार्यक्रम अधिकारी पद पर नियुक्त था।
प्रसार भारती परिवार को अपने इन महान कलाकार पर नाज़ है और उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा पूर्वक नमन कर रहा है।
द्वारा योगदान :-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ, darshgrandpa@gmail.com