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आकाशवाणी समाचार के पुरोधाओं में गिने जाने वाले डा.उर्मिल कुमार थपलियाल (पूर्व समाचार वाचक ,आकाशवाणी लखनऊ) अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से इन निरन्तर लेखन और रंगमंच पर अत्यधिक सक्रिय रहे हैं।वे अनेक पत्र पत्रिकाओं में हास्य व्यंग के नियमित कालम लिख रहे हैं।आज 16सितम्बर को उन्होंने मशहूर अफ़साना निगार इस्मत चुगतई की आत्मकथा "कागजी है पैरहन"के नाट्य रुपान्तरण,परिकल्पना और निर्देशन की ज़िम्मेदारी उठाते हुए लखनऊ के नाट्य प्रेमियों को एक बेहतरीन नाटक देखने का अवसर प्रदान किया ।केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सहयोग से इस नाटक को लखनऊ की "दर्पण " संस्था ने प्रस्तुत किया ।नगर के गणमान्य लोगों ने इस कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की है।

ब्लाग रिपोर्ट-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।ईमेल;darshgrandpa@gmail.com

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