January 2, 2018
The V Shantaram Lifetime Achievement Award of the Mumbai International Film Festival for Documentary, Shorts & Animation Films - MIFF 2018 will be conferred upon veteran film maker Shyam Benegal. The award carrying a Trophy, a shawl, citation and cash prize of Rs 1 million (Rs 10 lakhs) will be presented by the Governor of Maharashtra, Shri C Vidyasagar Rao at the MIFF 2018 Valedictory Function at NCPA on Saturday.
An independent committee comprising Rahul Rawail, Kiran Shantaram, Prasoon Joshi, Bharathi Pradhan and Vinod Anupam unanimously recommended the name of Shri Shyam Benegal, taking note of his significant contribution to the growth and sustenance of documentary movements in India.
One of the leading and widely respected filmmakers of India, Shri Shyam Benegal is known for making thought provoking films centre around contemporary Indian experience. He is credited with pioneering new cinema in the country.
While Shyam Benegal has made 28 feature films including landmark films like Ankur, Nishant, Mandi and Junoon, his filmography also includes 41 documentaries covering a wide variety of subjects including cultural anthropology, sustainable growth, biopic, art and culture. His 1982 documentary 'Satyajit Ray' won the National Award for Best Biographical Film, while his 1985 film 'Nehru' won the award fro Best Historical Reconstruction.
His work on television consists of several popular series including the 53 part series Bharat Ek Khoj, first broadcast on Doordarshan in 1988. He also made the much acclaimed 'Samvidhaan - The Making of the Constitution of India".
Born in 1934 in Hyderabad, Shyam Benegal completed his M.A. in Economics from the Osmania University and began working in an advertising agency, before venturing into film making. He made his first documentary film 'Gher Behti Ganga' (Ganga at Doorstep) in Gujarati in 1963. Shri Benegal credits his photographer father and cousin Guru Dutt as early influencers for him taking up film making as a career.
Shri Benegal also taught mass communication between 1966 and 1973 and later took an active role in shaping film education as Chairman of the Film & Television Institute of India during the 1980s and early 90s. Recipient of many awards including 9 National Awards for his feature films, Shri Benegal has been honoured by the Government of India with Padma Shri, Padma Bhushan as well as the coveted Dadasaheb Phalke Award.
About V Shantaram Lifetime Achievement Award
The V Shantaram Lifetime Achievement Award for contribution to the documentary movement is conferred on a veteran filmmaker at every MIFF organized by Films Division. The award is instituted in memory of legendary filmmaker V Shantaram, who was closely associated with the Films Division as Honorary Chief Producer during the 1950s.
January 2, 2018
वृत्तचित्र, लघु और एनिमेशन फिल्मों को समर्पित मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्व, मिफ़्फ़ 2018 के प्रतिष्ठित व्ही शांताराम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से वरिष्ठ निर्माता निर्देशक श्याम बेनेगल को सम्मानित किया जा रहा है. शनिवार को एनसीपीए में आयोजित मिफ़्फ़ 2018 के समापन समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी विद्यासागर राव ट्राफी, शॉल, प्रमाण-पत्र और दस लाख रूपये के नकद पुरस्कार से श्याम बेनेगल को सम्मानित करेंगे.
चयन की स्वतंत्र समिति में शामिल राहुल रवैल, किरन शांताराम, प्रसून जोशी, भारती प्रधान और विनोद अनुपम ने भारतीय वृत्तचित्र फिल्म निर्माण की परंपरा समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए एकस्वर में इस सम्मान के लिए श्री श्याम बेनेगल के नाम की अनुशंसा की है.
अग्रणी एवं प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म निर्माता निर्देशकों में शामिल श्री श्याम बेनेगल सामाजिक सरोकार वाली विचारोत्तेजक फिल्मों के लिए पहचाने जाते हैं. देश में नए सिनेमा की शुरूआत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है.
श्याम बेनेगल अब तक 28 फीचर फिल्में बना चुके हैं जिनमें से कई मील का पत्थर साबित हुई हैं, जैसे अंकुर, निशांत, मंडी और जुनून. उनके फिल्मों के सफ़र में 41 वृत्तचित्र फिल्में भी शामिल हैं, जिनमें वृहद स्तर पर महत्वपूर्ण समाजिक विषयों का समावेश है, संस्कृति और उसका मानवीय इतिहास, उसका सतत विकास बखूबी दर्ज हुआ है. उनकी बायोपिक और कला पर केन्द्रित वृत्तचित्र फिल्में भी सांस्कृतिक धरोहर सिद्ध हुई हैं. 1982 में उनकी वृत्तचित्र फिल्म ‘सत्यजीत रे’ को सर्वश्रेष्ठ बायोग्राफिकल फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है, वहीं 1985 में उनकी वृत्तचित्र फिल्म ‘नेहरू’, सर्वश्रेष्ठ इतिहासिक पुनर्रचना करने वाली फिल्म के तौर पर सम्मानित की जा चुकी है.
टेलिविज़न पर भी श्याम बेनेगल की प्रस्तुतियां लोकप्रिय और ज्ञानवर्धक रही हैं. जिनमें दूरदर्शन पर 1988 में पहली बार प्रसारित 53 कडियों में प्रदर्शित ‘भारत एक खोज’ प्रमुख है. छोटे पर्दे के लिए उनके द्वारा निर्मित ‘संविधान – द मेकिंग ऑफ द कॉन्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ की भी काफी सराहाना हुई थी.
1934 में हैदराबाद में जन्में श्याम बेनेगल उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम ए की पढ़ाई करने के बाद फिल्म निर्माण के क्षेत्र में आने से पहले विज्ञापन एजेंसी में काम कर चुके हैं. उन्होंने 1963 में गुजराती भाषा में अपनी पहली वृत्तचित्र फिल्म ‘घेर बहती गंगा’ बनाई थी. वे अपने फोटोग्राफर पिता और चचेरे भाई गुरूदत्त को फिल्म जगत में लाने की शुरूआती प्रेरणा मानते हैं, जिसके बाद उन्होंने पूरी तरह फिल्म निर्माण के क्षेत्र को आजीविका बना लिया.
इसके अलावा 1966 से लेकर 1973 तक श्री श्याम बेनेगल पत्रकारिता पढ़ाने के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे. इसके बाद 80 और 90 के शुरूआती दशक तक वे फिल्म एजुकेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते भारतीय फिल्म एवं टेलिविज़न संस्थान के अध्यक्ष पद पर भी रहे. उन्हें 9 बार फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा कई प्रमुख सम्मान मिल चुके हैं. भारत सरकार ने श्री श्याम बेनेगल को पद्म श्री और पद्मभूषण पुरस्कार अलंकृत किया जा चुका है, साथ ही वे दादा साहेब फालके अवार्ड से उन्हें सम्मानित हैं.
व्ही शांताराम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
व्ही शांताराम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड वृत्तचित्र निर्माण की मुहिम में अग्रणी भूमिका और योगदान के लिए दिया जाने वाला सम्मान है, जिसके अंतर्गत फिल्म प्रभाग द्वारा आयोजित मिफ़्फ़ में वरिष्ठ फिल्मकारों को सम्मानित किया जाता है. यह सम्मान 1950 के दशक में फिल्म प्रभाग से मुख्य निर्माता के रूप में जुड़े रहे प्रसिद्ध फिल्म निर्माता व्ही शांताराम की स्मृति को समर्पित है.