केंद्रीय कार्यक्रम निर्माण केंद्र, दूरदर्शन, खेल गांव, नई दिल्ली में सहायक अभियंता एवं देश के जानेमाने प्रयोगधर्मी व्यंग्यकार डाॅ. आलोक सक्सेना ने अपने समस्त अंग एवं ऊतक दान (मृत्यु के बाद) किए जाने की घोषणा की और राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) को पूर्ण अधिकार दिया। इस संबंध में उन्होंने कहा कि, ''व्यंग्यकार समाज की विसंगतियों और बुराईयों को मिटाने की पहल करता है। एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व्यंग्यकार होने के नाते मेरा मानना है कि सामान्यतः लोगों के द्वारा अपने अंग और ऊतक दान न देना और मृत्यु के बाद भी बहुत ज्यादा अनावश्यक कर्मकांड की चाह रखना भी बुराईयां हैं।''
''उन्होंने दिनांक 14 जनवरी, 2019 (मकर संक्रांति) को अपने 52वें जन्मदिन के अवसर पर अपने जीवन से इन बुराईयों को दूर करने की पहल करते हुए सामाजिक घोषणा की है कि, 'मेरी मृत्यु के बाद तत्काल ही मेरे समस्त अंग एवं ऊतक राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के द्वारा जरूरतमंद भारतीयों को अलग-अलग दान कर दिए जाएं और मेरा शव दाह बिना किसी धार्मिक कर्मकांड, पाखंड़ एवं विद्युत शव दाह द्वारा किया जाए और प्राप्त शव राख को सामान्यतः सुविधानुसार कहीं भी किसी भी नदी में (जरूरी नहीं 'गंगा नदी' ही हो) विसर्जित या सामान्य बाग-बगीचों, गमलों, खेत-खलिहानों, गमलों इत्यादि में डालकर नष्ट कर दिया जाए।''
दिनांक 14 जनवरी, 1967 चंदौसी उत्तर प्रदेश में जन्मे डाॅ. आलोक सक्सेना मूलतः मैनपुरी उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। वह पिछले तीन दशक से हिंदी साहित्य की विविध विधाओं में लगातार सक्रिय राष्ट्रीय लेखक हैं। आजकल देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से उनकी व्यंग्य विधा में समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। उन्होंने बाल साहित्य में भी अपना विशिष्ट योगदान दिया है। उनकी अब तक एक दर्जन से अधिक मौलिक साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें भारत के माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा वर्ष-2013 में भारत सरकार का प्रतिष्ठित 'राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' एवं हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल माननीय श्रीराम नाईक द्वारा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय 'हरिशंकर परसाई पुरस्कार' प्राप्त हुआ। अनेक सरकारी व गैर सरकारी प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत डाॅ. सक्सेना फिलहाल नई दिल्ली में रहते हैं।
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