आकाशवाणी लखनऊ :यहां सात दशकों से संरक्षित है दिग्गज कलाकारों का दुर्लभ संग्रह



 
ऐ मुहब्बत मेरे अंजाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया। यू तो हर शाम उम्मीदों में गुजर जाती है, आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया...।।
अपनी खोई पहचान पाने के लिए आजादी के दो वर्ष बाद 1949 में मशहूर गजल गायिका बेगम अख्तर (अख्तरी बाई) की आकाशवाणी लखनऊ केंद्र में फिर से मखमली आवाज सुनाई दी। बेगम अख्तर कई वर्ष तक आकाशवाणी के स्टूडियो में गजल, दादरा व ठुमरी गायी थीं। करीब सात दशक बीत जाने के बाद आज भी आकाशवाणी की आर्काइव में वह रिकॉर्डिंग सुरक्षित है।
बेगम अख्तर की तरह न जाने कितनी नायाब शख्सियतों ने आकाशवाणी केंद्र में रिकॉर्डिंग की थी। करीब 81 वर्ष पहले सन् 1938 में आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र की शुरुआत हुई थी। उस समय रमई काका की धूम थी। आकाशवाणी केंद्र का अकेला रेडियो स्टेशन था, इसलिए प्रसारित होने वाली सामग्री पर विशेष ध्यान दिया जाता था। उन्नाव के चंद्रभूषण त्रिवेदी की एक मंडली थी, जो गाती-बजाती थी। उन्हें सुनने के बाद वर्ष 1941 में नौकरी पर रखा गया। पंचायत घर प्रोग्राम का संचालन करना था। इस प्रोग्राम में उन्हें काका बनना था, क्योंकि वह राम के भक्त थे, इसलिए उन्होंने रमई काका नाम से प्रोग्राम किया। इसके बाद उन्होंने बहरे बाबा नाम से नाटक लिखा, जो करीब 41 वर्ष तक लगातार प्रसारित किया गया, जिसकी रिकॉर्डिंग मौजूद है। इसके अलावा विविध भारती के फरमाइशी फिल्मी गीत, कलाकारों से मुलाकात, फौजी भाईयों के लिए जयमाला व हवा महल, अमीन सयानी की बिनाका गीतमाला आज भी लोगों की यादों में महफूज है। कुछ ऐसे ही दिलचस्प किस्सों के साथ केंद्र की लाइब्रेरी में आठ हजार एलपी (ग्रामोफोन की प्लेट), दस हजार ऑडियो मैगनेटिक टेपों व आठ हजार सीडियों का दुर्लभ संग्रह है।

साभार : दैनिक जागरण, 14 जून 2019

स्त्रोत :झावेंद्रकुमार ध्रुव,फेसबुक

Subscribe to receive free email updates:

Related Posts :