आकाशवाणी गोरखपुर के स्टाक कैरेक्टर जुगानी भाई से प्रेरित होती नई पीढ़ी ।



आकाशवाणी गोरखपुर के पुरोधा , अमर चरित्र जुगानी भाई (श्री रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव) की लोकप्रियता का डंका लगभग तीन चार दशक तक बजता रहा है।रिटायरमेंट के बाद भी उनकी रचना यात्रा जारी है। एक समाचार पत्र में वे साप्ताहिक कालम अब भी लिख रहे हैं।उन के व्यक्तित्व में अब भी इतनी आंच है ,ऊर्जा है कि नई पीढ़ी के लोग अचरज करते हैं। हैं। उनके हृदय की कोमलता उनके निकट के लोगों को आह्लादित करती है।
उधर उम्र की चढ़ान पर जुगानी मस्त हैं।बाल बच्चों में और फेसबुक पर भी व्यस्त हैं।पिछले दिनों उन्होंने अपने विवाह की पचासवीं वर्षगांठ भी अपनों के बीच मनाई है।
उन्होंने एक भोजपुरी फ़िल्म का टाइटल गीत भी लिखा था जिसे आकाशवाणी गोरखपुर के ही एक कलाकार युनुस कुरैशी ने संगीतबद्ध किया था -
"एक ओर कुइयां दुसर ओर खाई, 
बहीरा समाजे में सुनी के रुलाई।
आनहर के बीच अंजोर माने का होला ,
बकवादी पिंजरा में, मैना का गाई !
.......... विधना तोहरे देस में !"
यह फ़िल्म यूट्यूब पर उपलब्ध रहकर उनकी ऊर्जा को अब भी नई पीढ़ियों को फलक दे रहा है।
जुगानी भाई को प्रसार भारती परिजनों की शुभकामनाएं।

द्वारा योगदान :-श्री.प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ,darshgrandpa@gmail.com

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