Inspiration - नौवीं पास किसान का इनोवेशन, 10 रुपये के इको-फ्रेंडली गोबर के गमले में लगायें पौधे!


पर्यावरण दिवस हो या फिर पृथ्वी दिवस, सोशल मीडिया पर अक्सर SayNotoPlastic वायरल होने लगता है। लेकिन यह लिखना जितना आसान है अपने जीवन में उतारना उतना ही मुश्किल। और इस मुश्किल की वजह है कि लोगों को प्लास्टिक न इस्तेमाल करने की हिदायत तो सब जगह से मिल जाती है, पर प्लास्टिक की जगह ऐसा क्या इस्तेमाल करें जो उनके बजट में हो, यह विकल्प बहुत ही कम मिलता है। 

गुजरात के छोटा उदयपुर जिले में कथौली गाँव के रहने वाले 65 वर्षीय किसान गोपाल सिंह सूरतिया एक ग्रासरुट इनोवेटर भी हैं। उन्हें उनके इनोवेशन के लिए ज्ञान फाउंडेशन और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा सम्मानित भी किया जा चूका है।
 फ्रेंडली गमला बनाने की प्रेरणा उन्हें एक त्यौहार से मिली। "गुजरात में लड़कियाँ गौरी व्रत करती हैं। इस व्रत की विधि के लिए वो किसी बाँस की टोकरी या फिर मिट्टी के घड़े में 'जौ' उगाती हैं। उन्हें देखकर ही मेरे मन में ख्याल आया कि अगर इस तरह मिट्टी के घड़े या फिर टोकरी की जगह अगर ऐसा कुछ बनाया जाये जो कि मिट्टी में लगाने पर पौधों और मिट्टी के लिए उर्वरक का ही काम करे।"
गोबर का गमला न सिर्फ़ पर्यावरण-अनुकूल है, बल्कि इसे आप खुद घर पर भी बना सकते हैं।

गोपाल सिंह बताते हैं कि सबसे पहले आप गोबर को इकट्ठा करके उसमें गेंहू का आटा, लकड़ी का बुरादा, भूसा आदि मिलाएं। इस मिश्रण को कम से कम दो-तीन तक ऐसे ही रखें। उसके बाद इस मिश्रण पर साबुन के पाउडर का हल्का छिड़काव कर दें, इससे कीड़े नहीं लगेंगें।इसके बाद इस मिश्रण से धीरे-धीरे अपने माप के हिसाब से आप गमले बना सकते हैं। गमलों को आकार देने के लिए आप सांचे/डाई का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में ज़्यादा वक़्त नहीं लगता है।

गोपाल सिंह बताते हैं कि वे एक छोटा गमला 5 रुपये का बेचते हैं और बड़ा गमला 10 रुपये का। इतना ही नहीं वे और भी किसानों और ग्रामीण महिलाओं को इस तरह से गमला बनाने की ट्रेनिंग दे चुके हैं ताकि वे लोग भी खेती के साथ-साथ इस तरह की चीज़ें बनाकर अपनी आय में थोड़ी वृद्धि कर सकें।
 इसी तरह और भी कामों के लिए हमें प्लास्टिक के उत्पादों के इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल विकल्प तलाशने होंगें। ताकि थोड़ा-थोड़ा करके ही सही मगर हम प्लास्टिक-फ्री सोसाइटी बना पाएं।

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