महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले उदय गाडगिल की बेटी नेत्रा की शादी 2016 में नवंबर में हुई थी। पर उनकी बेटी की शादी में जैसा कार्ड बांटा गया था, उसका इस्तेमाल एक अलग रूप में आज तक हो रहा है। अब राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड से लेकर अमेरिका तक में भी ऐसे ही कार्ड का चलन बढ़ता जा रहा है। इसी कार्ड की तर्ज पर अब देश-विदेश में लोग अपनी शादी के कार्ड छपवा रहे हैं और दूसरों को भी ऐसा करने की प्रेरणा दे रहे हैं।
इस कार्ड की ख़ासियत है कि यह इको-फ्रेंडली है और साथ ही समारोह खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। जी हाँ, क्योंकि यह कार्ड सिर्फ़ कार्ड ही नहीं, बल्कि एक सूती रूमाल भी है। 12×12 इंच के इस रूमाल पर बहुत ही सुंदर ढंग से शादी या फिर किसी अन्य समारोह के कार्यक्रम के बारे में डिजिटल प्रिंटिंग की गई है, जो दो बार की धुलाई में ही निकल जाती है और फिर आप इसे रूमाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस कार्ड की ख़ासियत है कि यह इको-फ्रेंडली है और साथ ही समारोह खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। जी हाँ, क्योंकि यह कार्ड सिर्फ़ कार्ड ही नहीं, बल्कि एक सूती रूमाल भी है। 12×12 इंच के इस रूमाल पर बहुत ही सुंदर ढंग से शादी या फिर किसी अन्य समारोह के कार्यक्रम के बारे में डिजिटल प्रिंटिंग की गई है, जो दो बार की धुलाई में ही निकल जाती है और फिर आप इसे रूमाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
कागज बनाने के लिए न जाने कितने ही पेड़ हर साल काटे जाते हैं। पहले ही पर्यावरण को काफ़ी नुकसान पहुँचाया जा चुका है। फिर कार्यक्रम संपन्न हो जाने के बाद ये निमंत्रण कार्ड किसी काम के नहीं रह जाते। और तो और, रद्दी वाले भी इन्हें नहीं लेते, क्योंकि इनविटेशन कार्ड के लिए जिस कागज का इस्तेमाल किया जाता है, उसे रिसाइकिल करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में, गाडगिल ने सूती रूमाल के रूप में एक बहुत ही अच्छा और इको-फ्रेंडली विकल्प हमें दिया है।
उदय गाडगिल के इस इनोवेटिव आइडिया पर लोगों का ध्यान तब गया, जब ख़ुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पत्र लिखकर उनकी सराहना की।
हमारे छोटे-से कदम से भी कुछ अच्छा होता है, तो हमें वह कदम उठाना चाहिए। यदि आप यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आप क्या कर सकते हैं, तो फिर ऐसे लोगों से प्रेरणा लें, जो पहले ही कुछ सकारात्मक कर रहे हैं।