आकाशवाणी, सम्बलपुर केंद्र के प्रतीक्षालय में अप्रैल-जून, 2019 तिमाही के लिए राजभाषा कार्यशाला दिनांक : 28/06/2019 को अपराह्न 4 से 6.30 बजे तक आयोजन किया गया । कार्यशाला का विषय "कार्यालयिन कामकाज में सरल हिन्दी का प्रयोग" रहा । विषय-विशेषज्ञ के रूप में डॉक्टर संजय कुमार सिंह, स्नातकोत्तर विभाग के प्रमुख प्रमुख, हिन्दी विभाग, राजेंद्र विश्व विद्यालय , बलांगीर को आमंत्रित किया गया । कार्यशाला में केंद्र के कार्यक्रम, अभियांत्रिकी, प्रशासनिक अनुभागों से कुल 22 प्रतिभागी उपस्थित थे जिसमें 5 राजपत्रित अधिकारी एवं 17 अराजपत्रित कर्मचारी थे ।
कार्यशाला के प्रारम्भ में श्री क्षेत्रमणि बिभार वरिष्ठ आशुलिपिक तथा प्रभारी हिन्दी कार्यकारी निमंत्रित व्याख्याता एवं उपस्थित अधिकारी एवं कर्मचारियों का स्वागत के साथ अतिथि परिचय प्रदान किया । साथ ही कार्यशाला आयोजन का उद्देश्य ज्ञापन किया । श्री एमआरके राव, केंद्राध्यक्ष एवं श्री जयराम मुंडा, कार्यक्रम प्रमुख निमंत्रित अतिथि डॉक्टर सिंह जी को पुष्पगुछ के साथ स्वागत किया । तद्पश्चात श्री बिभार ने कार्यशाला का उद्देश्य ज्ञापन किया एवं राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के निदेश को दोहराते हुए बताया कि हिन्दी में काम करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए कार्यालय द्वारा प्रत्येक तिमाही में हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन किए जा रहे हैं जिसका मुख्य उद्देश्य हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाले सरकारी कार्मिकों की हिन्दी में काम करने की झिझक को दूर करना है । केंद्राध्यक्ष श्री एम आर के राव ने अध्यक्षयीय अभिभाषण में कहा कि 2019-20 वर्ष के लिए यह पहला कार्यशाला है । अनेवाले दिनों में भी ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किए जाएंगे जिससे हमारे कार्मिक अवश्य लाभान्वित होंगे । उन्होने सहर्ष बताया कि पिछले वर्ष हमारे केंद्र के अनेक कार्मिकों को "प्राज्ञ" एवं "पारंगत" शिक्षण योजना में शामिल किया गया और समस्त प्रतिभागी उन परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हैं । केंद्र में कोई राजभाषा अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ न होते हुए भी सही समय पर हिन्दी तिमाही बैठक, हर तिमाही में हिन्दी कार्यशाला, हिन्दी पखवाड़ा का सफल आयोजन, हिन्दी कवि संगोष्ठी आदि का आयोजन सफलता पूर्वक हो रहे हैं । इसके लिए अध्यक्ष महोदय ने प्रभारी हिन्दी कार्यकारी श्री बिभार के कार्यों को सराहा । कार्यशाला में उपस्थित श्री जयराम मुंडा, कार्यक्रम प्रमुख कार्यशाला के बारे में अपना विचार प्रकट किया ।
डॉक्टर सिंह नें व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि हिन्दी जनता की भाषा है और यही कारण है संघ सरकार द्वारा हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकारा गया । उन्होने बताया चूंकि हम 'ग' क्षेत्र को प्रतिनिधित्व करते हैं सरकारी कामकाज में बोलचाल की भाषा के व्यवहार करना ही हमारे लिए सहज एवं सरल होगा । डॉक्टर सिंह ने कहा कि किसी भी भाषा के दो रूप होते हैं- साहित्यिक और कामकाज की भाषा। कामकाज की भाषा में साहित्यिक भाषा के शब्दों के इस्तेमाल से उस भाषा को समझना कठिन हो जाता है । आज की लोकप्रिय भाषा अंग्रेजी ने भी अपने स्वरूप को बदलते समय के साथ खूब ढाला है। अंग्रेजी भाषा में भी विभिन्न भाषाओं ने अपनी जगह बनाई है । इसलिए हिंदी के रूप को भी सरल तथा आसानी से समझ में आने वाला बनाना होगा। राजभाषा में कठिन और कम सुने जाने वाले शब्दों के इस्तेमाल से राजभाषा को अपनाने में हिचकिचाहट बढ़ती है। शालीनता और मर्यादा को सुरक्षित रखते हुए भाषा को सुबोध और सुगम बनाना आज के समय की मांग है। डॉक्टर सिंह ने उपस्थित कार्मिकों को पत्राचार एवं टिप्पण लिखते समय न केवल सरल और सुबोध शब्द इस्तेमाल करने को कहा बल्कि जहां तक हो सके वाक्य छोटे- छोटे बनाने के लिए सलाह दी ।
अंततः उपस्थित प्रतिभागियों को हिन्दी के प्रति प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के लिए कार्यालय में कार्यालयिन दिवसों में लिखे जानेवाले "आज का शब्द" एवं कार्यशाला में दिये गए व्याख्यान आधारित प्रश्नों को लेकर एक प्रश्न मंच कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा संचालन किया गया । सरकारी कामकाज में व्यवहार होनेवाले अंग्रेजी शब्दों के हिन्दी पर्यायवाची पूछा गया एवं सही जवाब देनेवाले कार्मिकों को पुरस्कृत किया गया । कार्यक्रम को आकर्षक एवं मनोरंजक बनाने के लिए अंग्रेजी मुहावरों के हिन्दी रूप भी पूछे गए । समस्त कर्मचारी इस कार्यक्रम का आनंद उठाया । अंत में धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला का परिसमाप्ति हुई ।