लखनऊ की संस्कृति में रचे बसे प्रसार भारती पुरोधा जनाब विलायत जाफरी हमारे बीच नहीं रहे ।आज सुबह उनका मुम्बई में निधन हो गया है।
दो अक्टूबर 1935 को रायबरेली में जन्म लेने वाले विलायत जाफरी ने लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा ली थी । भारत सरकार के सॉन्ग एंड ड्रामा डिवीजन में काम करने के बाद वर्ष 1986 में वे लखनऊ आकाशवाणी केंद्र के निदेशक बने ।उसके बाद वे वर्ष 1988 में दूरदर्शन लखनऊ केंद्र के निदेशक रहे। उनके कार्यकाल में ही प्रायोजित धारावाहिकों की शुरुआत हुई, जिसमे धारावाहिक "नीम का पेड़" काफी लोकप्रिय हुआ था । उनके निकटस्थ मित्र वरिष्ठ रंगकर्मी और फिल्मों में चरित्र अभिनय करने वाले डा.अनिल रस्तोगी बताते हैंं कि विलायत जाफरी हमेशा एकता और गंगा जमुनी तहजीब की वकालत करते थे। वो कहते थे कि ये वो लखनऊ शहर है, जहां हनुमान का मंदिर एक मुसलमान बनाता है तो एक इमामबाड़ा हिंदू और यह तहजीब हमें अपने पूर्वजों से मिली है। इस गंगा-जमुनी तहजीब को मिटाना इतना आसान नहीं है। इस तहजीब को बचाने में हमें परेशानी नहीं होगी, क्योंकि यह संस्कार हमारे रूह में हैं। उन्होंने हिन्दू लड़की से शादी की, अपनी बेटी रश्मि की शादी भी एक हिन्दू परिवार में की। उनके घर में सभी त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। उनके घर के दरवाज़े पर गणेश की मूर्ति लगी है।लखनऊ की
रेजीडेंसी में उनका प्रोग्राम "बढ़ते कदम" काफी लोकप्रिय हुआ था । इप्टा के महा सचिव राकेश बताते हैं कि वर्ष 1969 में वो पहली बार लाइट एंड साउंड प्रोग्राम लेकर आए। रेजीडेंसी में उनका प्रोग्राम बढ़ते कदम ने 158 शो प्रस्तुत किए गए। वे हर फन में माहिर थे। उन्हें उर्दू, हिंदी, अंग्रेज़ी भाषा में महारत हासिल थी। उनकी गालिब के ऊपर किताब बहुत पसंद की जाती है। ऐसा लगता था कि उन्होंने गालिब को जिया हो।
कैफ़ी आज़मी अकादमी के सचिव सईद मेंहदी ने बताया कि विलायत जाफरी कैफ़ी अकादमी के संस्थापकों में से एक थे। इस अकादमी के बनने में उनका बहुत बड़ा योगदान था।
उनकी आखिरी इच्छा के अनुसार उनका जनाजा मुंबई से रायबरेली लाया जाएगा। एयर एंबुलेंस पहले लखनऊ आयेगी। यहां से रायबरेली बाई रोड जाएगी। रायबरेली में उनके खानदानी कब्रिस्तान में उन्हें उनकी मां के पहलू में कल मंगलवार अर्थात 6अक्टूबर को दफनाया जाएगा ।
प्रसाल भारती परिवार श्री जाफ़री के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
द्वारा योगदान :- प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ।