Jammu Kashmir: पिछले 23 वर्षो से श्रोताओं को गांधी कथा से जोड़े हुए हैं रविकांत



आकाशवाणी जम्मू के वरिष्ठ एनाउंसर रविकांत शर्मा पिछले 23 वर्षो से गांधी कथा के माध्यम से श्रोताओं को गांधी की जीवनी से जोड़े हुए हैं। न केवल जम्मू-कश्मीर के श्रोता बल्कि पाकिस्तान के गांधी भक्तों को भी आकाशवाणी जम्मू से शुक्रवार सुबह प्रसारित होने वाली गांधी कथा का इंतजार रहता है। खासकर श्रोताओं को रविकांत की मधुर आवाज में जिस नाटकीय अंदाज में गांधी कथा पढ़ी जाती है। लोगों को वह अंदाज भी खूब लुभाता है।

गांधी कथा वाचन को लेकर रेडियो के श्रोताओं की प्रतिक्रिया उत्साहित करने वाली होती है। खासकर पाकिस्तान में बैठे डोगरी के जानकार श्रोताओं का कहना है कि डोगरी की सही मिठास का आनंद उन्हें गांधी कथा सुनने से ही मिलता है। रविकांत की आवाज तो रेडियो के कई कार्यक्रमों में सुनने को मिलती है लेकिन गांधी कथा सुनते हुए लगता है जैसे उस समय की तस्वीर उतारी जा रही हो। एक तो गांधी जी की विचारधारा और उस पर से डोगरी की मिठास दिल को छू जाती है।

वरिष्ठ पंजाबी लेखक खालिद हुसैन, जो अक्सर पाकिस्तान अपने साहित्यक कार्यक्रमों, रिश्तेदारों को मिलने जाते रहते हैं, ने बताया कि पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर से लगते क्षेत्रों में आज भी रेडियो जम्मू से प्रसारित कार्यक्रमों को बढ़ चाव से सुना जाता है। खासकर गोजरी, पहाड़ी, पंजाबी, डोगरी समझने वालों को तो कुछ रेडियो कार्यक्रमों के प्रसारण का इंतजार रहता है। उनमें से गांधी कथा भी एक कार्यक्रम है, जो काफी सुना जाता है। लोगों को रविकांत के पढ़ने का अंदाज अच्छा लगता है।

रविकांत इसे अपनी खुशकिस्मती समझते हैं कि उन्हें महात्मा गांधी की आत्म कथा माई एक्सप्रीरियंस विद ट्रुथ के प्रो. राम नाथ शास्त्री के डोगरी अनुवाद 'गांधी कथा' को बार-बार पढ़ने का मौका मिला है। वह मानते हैं कि हर बार, हर अध्याय में कुछ नया सीखने और समझने को मिला है। डोगरी अनुवाद भी इतना अच्छा हुआ है कि इसे-इसे बार पढ़ने को मन होता है। गांधी कथा पढ़ने के बाद वह कहते हैं कि गांधी जी का जीवन कथनी का नहीं करनी का था, वे उपदेशक नहीं, सत्यशोधक थे। उनके पास किसी वाद को चलाने की फुर्सत नहीं थी, उनके सिद्धान्तों के नाम पर आज जो कुछ है, वह है उनके लेखों और कृतियों में भारतीय जनमानस के परिप्रेक्ष्य में, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विचार, जिसे उन्होंने स्वयं के जीवन में व्यवहारिक रूप प्रदान किया। गाँधी जी विश्व को सत्य एवं अहिंसा के आदर्शों पर चलता हुआ देखना चाहते थे।

रविकांत ने बताया कि शुक्रवार सुबह डोगरी में प्रसारित होने वाली इस गांधी कथा का नियमित श्रोता है।कभी किसी श्रोता को पता चलता है कि गांधी कथा वह पढ़ते हैं तो लोग उनसे मिलते हैं और अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जब कहते हैं कि गांधी जी ने जितना अच्छा, सच्चा लिखा है आप उसे उतने ही मन से पढ़ते हैं। कई बार तो कही कार्यक्रम में एनाउसमेंट करने पर भी लोग पूछने लगते हैं कि रेडियो से प्रसारित होने वाली गांधी कथा क्या वही पढ़ते हैं। कुल मिलाकर कह सकता हूं कि गांधी कथा पढ़ने से सीखने को तो मिला ही है। एक अलग पहचान भी बनी है। रेडियो के माध्यम से रेडियो का यह विश्वास बना रहे और श्रोताओं का प्यार इसी तरह मिलता रहें तो इसे गांधी जी का ही आशीर्वाद समझूंगा।


द्वारा अग्रेषित : झावेंद्र कुमार ध्रुव 

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