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".......और राजपूतों की शान बनी रही : चित्तौड़गढ़"

इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत में राजपूतों की शान का प्रतीक है चित्तौड़गढ़ का किला ।यह एक अकेला किला है जहां शौर्य,वीरता और त्याग की अनगिनत कहानियां हैं।मेरी पिछली यात्रा इसी ऐतिहासिक स्थान की थी।मैनें पाया कि राजस्थान के बेराच नदी के किनारे बसा चित्तौड़गढ़ का यह क़िला अपनी ऐतिहासिक भव्यता को लिए आज भी शालीनता से खड़ा है।यह किला पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है और राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है ।यह भारत के सबसे बड़े परिसर वाले किलों में से भी एक है।

इस किले से जुड़ी ढेर सारी दिलचस्प बातें हैं। आज खंडहर हो रहा यह क़िला राजसी राज्य राजस्थान का अब भी गौरव बना हुआ है ।आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि यह भारत का सबसे बड़ा किला है।चित्तौड़गढ़ किले को भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है. यह लंबाई में लगभग 3 किलोमीटर है व परिधि में लगभग 13 किलोमीटर लंबा. है।लगभग 700 एकड़ की जमीन में फैला हुआ है यह किला आज भी अपने अतीत पर गर्व करता खड़ा है।

चित्तौड़गढ़ का प्रवेश द्वार


इस किले में लगभग 7 प्रवेश द्वार हैं। ये हैं राम पोल, लक्ष्मण पोल, पडल पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, भैरों पोल और हनुमान पोल।इस किले तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको इन 7 प्रवेश द्वारों को पार करना होगा और तब आएगा किले का मुख्य द्वार ,सूर्य पोल ।


किले के अंदर ही कई महल व अन्य दर्शनीय स्थल हैं।इन अद्भुत स्थलों में शामिल हैं, रानी पद्मिनी महल, राणा कुंभा महल और फतेह प्रकाश महल।सबकी अपनी अपनी रोमांच और वीरता की अद्वितीय और अद्भुत कहानी।


किले के अंदर ढेरों मंदिर भी स्थापित हैं।


इनमें प्रमुख हैं कलिका मंदिर, जैन मंदिर, गणेश मंदिर, मीराबाई मंदिर ,सम्मिदेश्वरा मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और कुंभ श्याम मंदिर । यहां स्थित ये सारे मंदिर इनमें हुए बारीक नक्काशीदार कामों के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्द हैं।

किले में स्थित दो मीनारें, किले के और राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को दर्शाती हैं। इन मीनारों के नाम हैं, विजय स्तम्भ और कृति स्तम्भ।आश्चर्य की एक और बात यह है कि अगर इस किले को विहंगम दृश्य से देखा जाए तो, यह मछली के आकार का लगता है।राणा प्रताप,रानी पद्मिनी,मीराबाई आदि से सम्बद्ध और विश्व धरोहर विरासत की श्रेणी में आने वाले इस किले की कथा ब्लाग के पाठकों को कभी विस्तार से दूंगा।हमें गर्व है कि यह चित्तौड़गढ़ किला यूनेस्को द्वारा राजस्थान के पहाड़ी किलों के तौर पर वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल है।इसकी महत्ता का मूल्यांकन करना असंभव है क्योंकि यह किला राजपूतों (जो एक समय राजस्थान के शासक हुआ करते थे) के साहस, बड़प्पन, शौर्य और त्याग का अद्वितीय प्रतीक बना आज भी गर्व से सिर उठाए खड़ा है।

ब्लाग रिपोर्टर :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।मोबाइल 9839229128

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