संचार प्रणाली की आधुनिकता के चलते रेडियो दुकानों से भी विलुप्त होते जा रहे हैं। साल में एक-दो ग्राहक ही रेडियो खरीदते हैं। इससे दुकानदारों ने भी रेडियो मंगवाना बंद कर दिया। वहीं 90 वर्षीय बाबू खां आज भी रेडियो पर ही समाचार सुनते हैं। वे बताते हैं कि पत्नी थीं तो कभी कभार टीवी के सामने बैठ जाते थे, लेकिन अब उन्हें रेडियो का ही सहारा रह गया है।
एक जमाना था जब दहेज में रेडियो के लिए दूल्हा मचल जाता था। समाचार व क्रिकेट मैच का आंखों देखा हाल सुनने को गांव की चौंपालों पर रेडियो के आसपास भीड़ लगती थी। संचार प्रणाली की आधुनिकता ने अब वे नजारे विलुप्त कर दिए हैं। मांग कम होने के कारण कई दुकानदारों ने रेडियो रखना ही बंद कर दिया। इलेक्ट्रानिक्स की दुकानों पर एकआध रेडियो रखे दिखते हैं, वे भी धूल फांक रहे हैं। गांव और शहर में काफी खोजबीन के बाद एकआध बुजुर्ग ही रेडियो सुनने के शौकीन मिलते हैं। शहर के मोहल्ला बड़ा बंगशपुरा निवासी 90 वर्षीय बाबू खां रेडियो पर ही समाचार सुनकर देश, दुनिया की खबर रखते हैं। सर्दी अधिक पड़ने पर वे बीमार हो गए थे। स्वजनों ने भी ध्यान नहीं दिया और उनके रेडियो की बैटरी डिस्चार्ज हो गई। पिछले सप्ताह उनकी तबियत ठीक हुई तो सबसे पहले रेडियो ही मांगा। बाबू खां बताते हैं कि उन्होंने जबसे सुध संभाली रेडियो हमेशा घर में रहा। उन्होंने स्वयं कई रेडियो खरीदे। पत्नी शाबानी बेगम का तीन साल पहले इंतकाल हो गया। तब से वह टीवी के पास नहीं बैठे। उन्हें रेडियो पर ही समाचार सुनना अच्छा लगता है।
'मन की बात' सुनने को स्कूलों में खरीदे गए थे रेडियो
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब पांच साल पहले 'मन की बात' कार्यक्रम शुरू किया था। उस दौरान सरकार ने प्रधानमंत्री की बात प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को सुनवाने के लिए रेडियो खरीदने का आदेश दिया था। प्राथमिक विद्यालयों में रेडियो खरीदे गए थे, तभी कुछ दुकानदारों ने रेडियो मंगाए थे। घुमना बाजार स्थित यश इलेक्ट्रानिक्स पर एकमात्र रेडियो सेट रखा मिला, वह भी धूल फांक रहा था। दुकान पर मौजूद युवक धर्मेंद्र ने बताया कि मांग न होने से अब रेडियो नहीं मंगाते।