आकाशवाणी से ए ग्रेड सारंगी वादिका गौरी ने यूएसए की फ‌र्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप का स्वागत उत्तराखंडी लोकगीत 'बेड़ू पाको बारो मासा' धुन से किया


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत दौरा उत्तराखंड का भी गौरव बढ़ा गया। बीते मंगलवार को दिल्ली के सरकारी स्कूल पहुंचीं यूएसए की फ‌र्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप का स्वागत उत्तराखंडी लोकगीत 'बेड़ू पाको बारो मासा' की धुन पर हुआ। मेलानिया हैप्पीनेस क्लास देखने दिल्ली के सर्वोदय को-एड स्कूल पहुंची थीं। वहीं, दिल्ली के हैदराबाद हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सम्मान में सारंगी और संतूर बजाने वाले दल का नेतृत्व करने का गौरव हल्द्वानी की गौरी बनर्जी सती को प्राप्त हुआ।

चाय की दुकान पर रचा गया बेड़ू पाको गीत 

उत्तराखंड के लोकप्रिय गीत 'बेड़ू पाको बारो मासा' के बनने की कहानी रोचक है। अल्मोड़ा निवासी लोकगायक मोहन उप्रेती ने यह गीत किसी के मुंह से सुना था। गीत की धुन धीमी थी। मोहन उप्रेती ने धुन को द्रुत गति दी। अल्मोड़ा निवासी ब्रजमोहन शाह ने आसपास किसी कागज के न होने पर पास में सिगरेट के खाली पड़े डिब्बे को फाड़ा व उदे सिंह से उसके हिसाब लिखने वाली पेंसिल मागी और गाने को आगे बढ़ाने की कोशिश की। ब्रजमोहन शाह ने कुमाऊंनी कवि चंद्र लाल वर्मा की कुछ न्यौली व अपनी कुछ पंक्तियां जोड़ी। इस प्रकार उदे सिंह की चाय की दुकान पर यह गीत तैयार हुआ था। स्व. मोहन उप्रेती की पत्नी स्व. नईमा खान उप्रेती ने अपने एक साक्षात्कार में इस किस्से का खुलासा किया था।

गोपाल बाबू की आवाज से मिली प्रसिद्धि

बेड़ू पाको बारो मासा गीत को पहली बार 1952 में नैनीताल के राजकीय इंटर कॉलेज में सुनाया गया। शुरुआत में यह गीत मोहन उप्रेती हुड़के की थाप के साथ प्रस्तुत करते थे। बेड़ू पाको गीत को अधिक लोकप्रियता कालजयी गायक गोपाल बाबू गोस्वामी की आवाज साथ जुड़ने से मिली।

तीसरी पीढ़ी की कलाकार हैं गौरी बनर्जी

हल्द्वानी के कुसुमखेड़ा निवासी गौरी बनर्जी सती चार्टर्ड अकाउंटेंट पारितोष सती की पत्नी हैं। गौरी खुद भी सीए हैं। गौरी तीसरी पीढ़ी की संगीतकार हैं। स्व. पंडित काशी मिश्रा व अपनी माता तंद्रा बनर्जी से सारंगी की शिक्षा ली। बाद में स्व. उस्ताद साबरी खान की शिष्या बनीं। पिता पं. किशोर बनर्जी आकाशवाणी दिल्ल से ए ग्रेड तबला वादक हैं। गौरी ने पिता से ताल, लय व तिहाई की शिक्षा प्राप्त की। दिल्ली आकाशवाणी से ए ग्रेड सारंगी वादिका गौरी देश के विभिन्न शहरों में प्रस्तुति दे चुकी हैं। महाराणा कुंभ संगीत मंच, सुबह-ए-बनारस, दैनिक जागरण काशी आनंद समेत दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित हैं। पति पारितोष व जेठ किंशुक सती ने गौरी की सफलता पर खुशी व्यक्त की है।

बेड़ू पाको बारो मासा गीत काफी प्रसिद्धि लिए हुए है। भारतीय सेना के कई बैंडों ने बेड़ू पाको धुन को अंगीकार किया है। फ‌र्स्ट अमेरिकी लेडी का इस गीत की धुन से स्वागत होना गौरव की बात है।

- हेमंत बिष्ट, उत्तराखंड राज्य गीत के रचयिता

स्त्रोत :- https://ift.tt/2waPDDq

द्वारा अग्रेषित: श्री झावेन्द्र कुमार ध्रुव रायपुर,jhavendra.dhruw@gmail.com.

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