27 वर्षों से ज्यादा समय तक आकाशवाणी मुम्बई पर अपनी आवाज़ का जादू बिखेरने वाले उद्घोषक श्री आनंद प्रकाशआकाशवाणी मुम्बई से अपना सेवाकाल पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो गए हैं ।
श्री आनंद प्रकाश सिंह स्टेटिस्टिक्स में एम.ए. करने के दौरान ही थियेटर से जुड़ गए थे । थियेटर के साथ करियर की चिंता में आयएएस और नेवी के प्रारंभिक परीक्षाओं को पास कर चुके थे लेकिन जब तत्कालीन ड्रामा स्कूल के निदेशक अनूप जलोटा के मामा श्री राम कपूर ने श्री आनंद प्रकाश सिंह की आवाज़ की तारीफ की तो फिर साहित्य—संस्कृति और थियेटर का मोह कुछ ऐसा लगा कि यही प्राथमिकता बन गयी ।
कुछ समय तक गणित के शिक्षक के रूप् में कार्य करने के बाद आख़िर श्री आनंद प्रकाश सिंह को अपनी पसंद का काम आकाशवाणी मुम्बई में सन् 1991 में मिल ही गया । उद्घोषक के रूप में आकाशवाणी मुम्बई में नियुक्त होने के बाद श्री आनंद प्रकाश सिंह ने लेखन के क्षेत्र में भी काम किया उनकी कविताएॅं और कई लेख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए ।
उद्घोषक के रूप में वे केवल आवाज़ तक ही सीमित नहीं रहे अपितु उन्होंने कई डाक्यूमेंट्री का निर्माण करते हुए उसमें स्क्रिप्ट, वाईसिंग का योगदान भी दिया जिनमें प्रमुख रूप से मल्हार राग पर आधारित 'बूंदों में ढलता मल्हार, 'शब्द—शब्द सांची', शुभ शुक्रवार, शब्दों में उतरता वंसत,आसमॉं के किसी किनारे पर साहिल मिलेगा आदि हैं । आपने कई कुम्भ मेले और विशिष्ट कार्यक्रमों के जीवंत प्रसारण में भी अपने स्वर के माध्यम से योगदान दिया है ।
अपने कार्यों के लिए श्री सिंह को कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं जिनमें डॉक्यूमेंट्री कहानी बडे घर की को रापा अवार्ड प्राप्त हुआ । अखिल आकाशवाणी राजभाषा पुरस्कार, शत्रुघ्न सिंहा के हाथों अभियान पुरस्कार, कुमार शानू के हाथों किंग आॅफ वाईस पुरस्कार, संस्कृति शिरोमणि आदि कई पुरस्कार प्राप्त हुए है ।
प्रसार भारती परिवार की ओर से उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनायें । आप भी अपनी शुभकामनायें उन तक पंहुचाना चाहें तो उनसे 9869182136 पर संपर्क कर सकते हैं ।
Blog Report-Praveen Nagdive, ARU AIR Indore