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साल 1894 से, जब चेकोस्लो-वाकिआ के शहर ज़लीन में टॉमस बाटा ने, अपने भाई एंटोनिन और बहन एना के साथ मिलकर जूते बनाने की शुरुवात की और इस कंपनी में उन्होंने 10 एम्प्लोईस भी रखे |
हलाकि टॉमस का यह काम नया बिलकुल भी नहीं था, क्युकी उनकी कई पढ़िया मोची का काम करती चली आ रही थी | लेकिन अपने इस हुनर को इतने बड़े स्तर पर आज़माने का रिस्क केवल टॉमस बाटा ने लिया ।

जब कंपनी एस्टेब्लिश करने के अगले ही साल, टॉमस को पैसों की कमी का सामना करना पड़ा और क़र्ज़ में डूबे टॉमस ने लेदर की बजाए कैनवास से जूते बनाने का फैसला किया और कैनवास सस्ते होने की वजह से उनके बनाये गए जूते बहुत तेजी से पोपुलर होने लगे | इसके बाद कंपनी की ग्रोथ भी बढ़ती चली गयी।

कुछ साल बाद, 1904 मे टॉमस अमेरिका गए और ये सीखकर आये कि वहां पर बोहत सारे जूतों को एक साथ बनाने का कौन सा तरीका अपनाया जाता है, और फिर उस टेक्निक को अपनाते हुए उन्होंने अपनी प्रोडक्शन पहले से कही ज्यादा कर ली |फिर उन्होंने ऑफिसियल लोगों के लिए batovky नाम का जूता बनाया और इस जूते को इसकी सिम्पलिसिटी, स्टाइल, लाइट वेट और प्राइस के लिए काफी पसंद किया गया और इसकी पॉपुलैरिटी ने बाटा कंपनी की ग्रोथ काफी हद तक बड़ा दी।

लेकिन आगे चल कर टामस के भाई अन्टोनी की मृत्यु हो गयी और उनकी बहन भी शादी कर चली गयी |
जिससे वे अकेले पड़ गए, लेकिन टॉमस, बिना रुके चलते रहने का इरादा रखने वालों में से थे, उन्होंने अपने छोटे भाईयों को बिजनेस में शामिल कर लिया और किसी भी प्रॉब्लम को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया…

और साल 1912 आते-आते बाटा के एम्पलॉईस की संख्या लगभग 600 से ज्यादा हो चुकी हो चुकी थी।
और 1914 में जब पहला वर्ल्डवॉर शुरू हुआ तो क्वालिटी और कम्फर्ट के लिए पहचानी जाने वाली इस कंपनी को सेना के लिए जूते बनाने का  बड़ा आर्डर मिला और 1918 तक चली इस वर्ल्ड वॉर के दौरान, ऑर्डर्स को टाइम पर पूरा करने के लिए बाटा कंपनी में एम्प्लॉएंस की संख्या दस गुना बढ़ा दी गयी…….. और इस कंपनी ने बहुत से शहरों में अपने स्टोर्स भी खोल लिए।

लेकिन वर्ल्ड वॉर ख़तम होने के बाद जबरजस्त मंदी का दौर आया, जो बाटा शू कंपनी के लिए भी बहुत बड़ी प्रोब्लम लेकर आया..लेकिन इस बार भी टॉमस बाटा ने इन प्रोब्लम्स को बहुत अच्छे तरीके से हंडल किया, और कंपनी के लिए एक रिस्की फैसला लिया,

उन्होंने किया कुछ यूँ की बाटा शूज की प्राइस आधी कर दी, और फिर कंपनी के वर्कर्स ने भी उनका बखूबी साथ दिया और अपनी तनख्वाह में 40% की कटौती करने को तैयार हो गये |
और बहुत जल्द हाफ रेट के रिस्क और टीम वर्क ने ऐसा कमाल कर दिखाया कि मंदी के जिस टाइम में बाकी सारी कम्पनीज अपना बिज़नेस बंद करने की कगार पर थी, वही बाटा शू कंपनी को सस्ते और कम्फर्टेबल जूते बनाने के ढेरों ऑर्डर्स मिलने लगे।

बस यहाँ से टामस और उनकी कंपनी बाटा ने कभी भी पीछे मुड कर नहीं देखा और धीरे धीरे वह दुनिया की सबसे बड़ी फुटवियर ब्रांड बन गयी |और मौजूदा समय में बाटा 70 से भी ज्यादा देशो में अपनी पहचान बना चूका है और पूरी दुनिया में इसके 5200 रिटेल स्टोर्स है और अगर इस इस शू कंपनी के हेडक्वाटर की बात करें तो वह स्विट्ज़रलैंड में मौजूद हैं |

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