महिलाओं की शक्ति को पहचान पाना मुश्किल है। अगर वो चाह ले तो सारी दुनिया को अपने कदमों में कर सकती है। ऐसी ही मार्मिक कहानी है रेडियो जॉकी बन शोहरत की बुलंदियों को छूने वाली देविका दत्ता की। जिन्होंने मां के चौथे वाले दिन ऑल इंडिया रेडियो में ऑडिशन दिया और सेलेक्शन पाया।
देविका दत्ता किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। देविका दत्ता की जिंदगी में इतने उतार चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने हर परिस्थिति का डट कर मुकाबला किया और हर उतार चढ़ाव को पार कर अपना एक अलग रास्ता बनाया। अगर आप उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी जाएं तो ये उनकी बातचीत में साफ दिखता है कि वो जरा हटकर हैं। दिल्ली में पली-बढ़ी देविका को आप 'सदाबहार गाने' और 'कागज पे जिंदगी' के नाम के शो पर सुन सकते हैं। इस महिला दिवस हम सलाम कर रहे हैं उनकी मेहनत और जुझारूपन को जिसे मुश्किल परिस्थितियां भी नहीं झुका सकीं ।
बता दें कि देविका के माता-पिता दोनों ही संगीत से जुड़े हुए हैं और शायद यही कारण है कि वह एक बेहतर आरजे ही नहीं एक अच्छी गायिका भी हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी में हर किरदार बखूबी निभाया है, चाहे वो एक बेटी का हो, एक बहन या फिर एक आरजे का हो। मां के गुजर जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी देविका पर आ गई। चूंकि वह घर की बड़ी बेटी थीं उनके कंधों पर घर की जिम्मेदारियां आना लाजमी थीं। लेकिन इस बुरे दौर में भी उन्होंने काफी हिम्मत रखी और जिंदगी में वो सबकुछ पाया जिसकी वो हकदार थीं। उनके हर कदम पर उनके पिता ने उनका साथ दिया। शायद यही वजह है कि वह अपने पिता से दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करती हैं।
पिता की जिद पर देविका, मां के 'चौथे' के दिन ऑल इंडिया एफएम गोल्ड में आरजे का ऑडिशन देने पहुंचीं। वह वहां बिना किसी तैयारी के गईं, वहां वो कुछ बोल भी नहीं पा रही थीं। उनकी ऐसी हालत देख जो ऑडिशन ले रहे थे उन्होंने पूछा कि क्या हुआ है तब देविका ने जवाब में कहा कि आज मेरी मां का चौथा है और ये कहते-कहते उनकी आखों से आंसू छलक पड़े। फिर ऑडिशन लेने वाले ने देविका को गले से लगा कर कहा कि तुम बहुत स्ट्रांग हो।
उसके कुछ दिन बाद देविका को ऑल इंडिया एफएम गोल्ड से कॉल आया और बताया गया कि उनका सेलेक्शन हो चुका है। उनको 15 दिन की ट्रेनिंग पर भेजा गया और फिर उनको ऑन एयर किया गया। उनका पहला शो 'गाते गुनगुनाते' था।
देविका दत्ता नीरजा भनोट को काफी पसंद करती हैं। उनके अलावा वो अपनी बहन दीपिका की भी काफी तारीफ करती हैं। उनका सपना है कि वह अपना खुद का यूट्यूब चैनल चलाएं जिसमें वह अपने खुद के गाए गाने अपलोड करें।
देविका दत्ता आरजे का काम करने के अलावा एक एनजीओ से भी जुड़ी हैं। उनको लोगों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है। जैसे नेत्रहीन लोगों के लिए परीक्षा में उनकी ओर से लिखना, गरीब बच्चों की सहायता करना भी उन्हें काफी पसंद है। देविका दत्ता कहती हैं कि लड़कियां/औरतें दुर्गा भी है, काली भी, सरस्वती और लक्ष्मी भी। जहां जो बनना होता है वो वहां वैसा रूप ले सकती है।
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Credit :- From Facebook Account of Shri. Jhavendra Kumar Dhruw.