आकाशवाणी लखनऊ के सहायक निदेशक (कार्यक्रम) श्रीमती रश्मि चौधरी का हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में प्रस्‍तुति


श्री हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में पहली बार हाजिरी लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह सब कुछ बाबा के आशीर्वाद से हुआ है। मैं वोकल विधा में अपनी प्रस्तुति देती हूं। शादी के बाद जब मेरे पति मेरी कला से वाकिफ हुए तो उन्होंने मेरा बहुत सहयोग किया। उनकी प्रेरणा से मैंने एक बार फिर अपने सपनों की उड़ान भरी, जो आज तक जारी है। दैनिक जागरण से देश की प्रसिद्ध वोकल कलाकार रश्मि चौधरी ने बाते साझा की।

रश्मि चौधरी ऑल इंडिया रेडियो की मान्यता प्राप्त कलाकार हैं। वह ऑल इंडिया रेडियो लखनऊ स्टेशन की सहायक स्टेशन डायरेक्टर भी हैं। रश्मि ने कहा कि जालंधर के रग-रग में संगीत बसता है। वैसे तो पूरा पंजाब गीत व संगीत के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन शास्त्रीय संगीत की बात करें तो जालंधर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, जहां पर श्री बाबा हरिवल्लभ जैसे संगीतकार हुए हैं।

रश्मि बताती हैं कि जिस समय वह राग पूर्णिमा में 'आकुल नैन मोरे पिया को अकुलाय' और राजहंस ध्वनि में 'हर हर चावत जिया' की प्रस्तुति देती हैं, तो उनके अंदर एक अजीब सी शांति आ जाती है। शास्त्रीय संगीत के प्रति उन्हें बचपन से ही रुचि थी, लेकिन समझ नहीं थी। पहले शास्त्रीय संगीत अच्छा लगता था। मेरी माता सरोजनी सिन्हा घर में सितार बजाती थीं। उनको देखकर मेरे मन में सितार बजाने की तमन्ना हुई। वहीं से संगीत की मेरी पहली शिक्षा शुरू हुई। मेरी पहली गुरु मेरी मां ही बनीं। उनके बाद श्री कांता वैद्य जी की वजह से मेरा संगीत में लगाव बढ़ गया।

उन्होंने बताया कि नारायण लक्ष्मण गुणे से शिक्षा लेकर मैंने खुद को संगीत में प्रवीण किया। आज मैं शास्त्रीय संगीत के इस मुकाम पर हूं, तो इसमें मेरे पति पंकज कुमार चौधरी का बहुत सहयोग रहा है। पहले मेरा शौक फैशन डिजाइनर बनने का था मैं एक बहुत अच्छी गृहिणी थी, लेकिन मेरे पति ने जब मेरी यह कला देखी तो उन्होंने मुझे कहा कि बाकी के काम तो तुम्हारे दूसरे लोग भी कर देंगे, लेकिन जो कला तुम्हारे पास है तुम केवल उस पर फोकस करो और उसी में आगे जाओ।

आज मैंने श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महोत्सव में आकर प्रथम हाजिरी लगाई है, तो इसमें मेरे पति का बहुत साथ रहा है। बाबा का स्थान बहुत पवित्र स्थान है। यहां आकर मन को जो अलौकिक शक्ति महसूस हुई है, वह कहीं नहीं हुई। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली और खुशनसीब समझती हूं, जो मुझे बाबा के दरबार में आकर हाजिरी लगाने का मौका मिला। यहां के लोगों ने मुझे बहुत प्यार और स्नेह दिया। यहां से मैं अपनी झोली में बाबा का आशीर्वाद और यहां के लोगों का प्यार लेकर जा रही हूं।

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