यह आकाशवाणी का नजीबाबाद केंद्र है..। अगर आप भी रेडियो के शौकीन हैं तो यह पंक्ति आपने जरूर सुनी होगी। लेकिन, अब इस पंक्ति में एक शब्द बदल गया है। अब हमें नजीबाबाद की जगह देहरादून सुनने को मिलता है। यही एक शब्द प्रदेश को गौरवान्वित कर देता है। वक्त के साथ हमारे आसपास बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन आकाशवाणी के प्रसारण की शैली आज भी उसे बदलाव की इस दौड़ से अलग करती है। आज 23 जुलाई को रेडियो प्रसारण दिवस है और आकाशवाणी को सही मायने में रेडियो का पर्यायवाची कहा जा सकता है। यह आकाशवाणी ही है, जिसने मनोरंजन जगत को दिशा दी।
29 जून को तीन साल पूरे कर चुका आकाशवाणी देहरादून (100.5 मेगाहट्र्ज) लोक कलाकारों की आवाज बनता जा रहा है। साथ ही बच्चों का प्रश्नोत्तरी के जरिये ज्ञान बढ़ाने का कार्य भी कर रहा है। देहरादून केंद्र ने तकनीक के इस दौर में खुद को बदला भी है और एक यूट्यूब चैनल व फेसबुक के माध्यम से लोगों तक पहुंच रहा है। लंबे समय से आकाशवाणी के कार्यक्रमों में गायन करने के बाद पद्मश्री बसंती बिष्ट और पद्मश्री प्रीतम भतरवाण को मिले इस सम्मान के लिए भी किसी न किसी रूप में आकाशवाणी को श्रेय जाता है। आकाशवाणी संगीत सम्मेलन में दून की शरण्या जोशी ने प्रथम स्थान हासिल कर देहरादून केंद्र का मान बढ़ाया।
दिन में 17 घंटे से ज्यादा का प्रसारण
आकाशवाणी देहरादून से हर दिन 17 घंटे 15 मिनट प्रसारण होता है। इस दरमियान गढ़वाली, कुमाऊंनी और अब जौनसारी कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। क्षेत्रीय समाचारों का प्रसारण भी किया जाता है। हर माह गौं गुठयार, किलकारी कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं।
पहली बार आइएमए परेड का प्रसारण
देहरादून केंद्र ने इस वर्ष जून में पहली बार आइएमए की पासिंग ऑफ परेड का लाइव प्रसारण किया था। आकाशवाणी का भवन 2015 में बनकर तैयार हो गया था, लेकिन उद्घाटन में दो से ढाई साल का वक्त लग गया।
नई तकनीक के साथ तालमेल
आकाशवाणी देहरादून के कार्यक्रम अधिकारी अनिल भारती बताते हैं कि पहले लोग पोस्टकार्ड के माध्यम से किसी कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते थे। अब लोग यह काम मेल और मैसेज के जरिये चंद सेकेंड में कर देते हैं। प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव रामेंद्र सिंह का कहना है कि आकाशवाणी ने न्यूज ऑन एआइआर मोबाइल एप लांच किया है। जिसके माध्यम से किसी भी केंद्र में प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुने जा सकते हैं। आकाशवाणी देहरादून के फरमाइशी कार्यक्रम में हर दिन 50 से ज्यादा श्रोता अपनी प्रतिक्रिया भेजते हैं।
मेगा प्रोजेक्ट से दूरस्थ गांव के कलाकार को मिलता है मौका
मेगा प्रोजेक्ट संगीत की परियोजना प्रसार भारती ने शुरू की। इसमें उत्तराखंड के पांरपरिक गीत, घस्यारी, मांगल, झुमेली, जागर रिकॉर्ड कर प्रसार भारती की लाइब्रेरी में भेज दिए जाते हैं। इसके बाद इन्हें हिंदी, अंग्रजी में अनुवादित कर स्वरलिपी दी जाती है। गढ़वाली गीतों के बाद अब तक जौनसार के 60 पारंपरिक गीतों को रिकॉर्ड किया गया है।
एक नजर यहां भी
29 जून 2017 को आकाशवाणी के देहरादून केंद्र का विधिवत उद्घाटन होने के साथ ही प्रसारण शुरू हो गया। इस केंद्र की प्रसारण क्षमता 10 किलोवाट है। सुबह पांच बजकर 55 मिनट से रात 11 बजकर 10 मिनट तक प्रसारण होता है। इस स्टेशन के दायरे में दून के अलावा पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी और हरिद्वार शामिल हैं। गढ़वाली संग हिंदी, अंग्रजी, उर्दू व संस्कृत में प्रसारण।
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द्वारा अग्रेषित : श्री झावेन्द्र कुमार ध्रुव रायपुर ।