रामपुर 336.7 मीटर अर्थात 891 किलो हर्ट्ज पर आकाशवाणी का यह रामपुर केंद्र है। प्रस्तुत है फरमाइशी फिल्मी गीतों का कार्यक्रम, आपकी पसंद। इस पंक्ति को पढ़ कर आप में से बहुतों के जेहन में आपके अपने प्यारे रेडियो की मधुरिम यादें जवां हो उठी होंगी। आज से लगभग 30 साल पहले रेडियो का दौर था। जब इस छोटे से जादुई बक्से में हर वर्ग के मनोरंजन के लिए कुछ न कुछ हुआ करता था। इतना ही नहीं देश-विदेश की खबरों के साथ जानकारी का अछ्वुत खजाना भी था इस पिटारे में। 23 जुलाई को भारत, राष्ट्रीय प्रसारण दिवस मनाता है। इस दिन रेडियो से जुड़ी यादें ताजा करना तो बनता है। जमाना चाहे कितना भी मॉडर्न हो जाए व नई मशीनें ले आए। लेकिन, पुरानी चीजों की लोकप्रियता हमेशा बनी रहती है। साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि वह इंटरटेनमेंट की नई-नई चीजें लोगों के सामने रख रहा है। लेकिन, रेडियो का दौर आज भी लोगों के जेहन में सुरमयी संगीत की तरह तरोताजा है। रेडियो उस समय का साथी है जब एंटरटेनमेंट के साधन न के बराबर थे। यह वह दौर था जब लोगों के पास न तो टीवी होता था और न ही अन्य चैनल। तब लोग मनोरंजन के लिए और किसी भी अन्य तरह की जानकारी के लिए रेडियो सुना करते थे। इस दौर में रेडियो लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था। भले ही आज टीवी और मल्टीप्लेक्स का दौर है। लेकिन, रेडियो की जगह अभी तक कोई नहीं ले सका है। नवाबों के प्रयास से हुई रामपुर में रेडियो स्टेशन की स्थापना
रामपुर नवाबो के शहर रामपुर में रेडियो स्टेशन की स्थापना 25 जुलाई 1965 को हुई थी। यहां पर इसकी शुरुआत का श्रेय नवाब खानदान को जाता है। आकाशवाणी की कार्यक्रम प्रमुख मनदीप कौर बताती हैं कि जब रामपुर रियासत का विलय हुआ था, तब नवाब द्वारा बहुत सी शर्तें रखी गई थीं। जिनमें से एक शर्त थी कि यहां पर रेडियो स्टेशन की स्थापना की जाए। इसका कारण नवाब का संगीत से अगाध प्रेम था। उस काल में उनके दरबार मे बहुत से संगीतकार थे। रियासत विलय होने के बाद उनका क्या होगा इसकी चिता के चलते उन्होंने यह शर्त रखी थी। आकाशवाणी केंद्र खुला तो उन संगीतकारों को रोजगार मिल गया। इस केंद्र से पहला प्रसारण कृषि जगत का हुआ था। उसके बाद परिवार कल्याण के ऊपर कार्यक्रम शुरू हुआ। यह वह दौर था जब रिकॉर्डिंग नहीं हुआ करती थी। कार्यक्रम लाइव प्रसारित किए जाते थे। अधिकांश कार्यक्रमों को उस समय लखनऊ से रिले किया जाता था। आज अपना यह केंद्र समय के साथ चलने के प्रयास में निरंतर लगा हुआ है। आज एक बार फिर यह इतिहास को दोहरा रहा है। लोगों से सीधा जुड़ने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। जिनमें से कई को आज फिर से लाइव ब्रॉडकास्ट किया जाने लगा है।
स्रोत :- https://ift.tt/2OQ9VYW
द्वारा अग्रेषित : श्री झावेन्द्र कुमार ध्रुव रायपुर