Inspiration -??. ???????????? ??????? - Thyrocare ?? ??? ????? .


डॉ. आरोग्यस्वामी वेलुमणि का जन्म 1959 को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में एक गांव में हुआ था। उनके पिता एक भूमिहिन किसान थे जो मजदूरी करके अपने घर का गुजारा चलाते थे। वेलुमणि के परिवार के उनके अलावा 4 भाई और बहन थे। जब वेलुमणि बहुत छोटे थे तो उनके पिता ने जिम्मेदारियों से बचने के लिए उनके पिता ने एक दिन अचानक घर छोड़ दिया और वेलुमणि और उनका परिवार बेसहारा हो गया। ऐसे समय में घर की पुरी जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। फिर वेलुमणि की मां ने अपनी Saving में से 2 भैंस खरीद कर और उनका दुध बेचकर अपना परिवार का गुजारा करना चालु किया। इस दुध से कुल 50-55 रुपए उन्हे मिलते थे जिससे घर का गुजारा चलता था। 

वेलुमणि और उनके भाई बहन रोज स्कूल जाते थे लेकिन उसका कारण Education नहीं बल्कि ये था कि उन्हे School में दिन का भोजन मिलता था और वे भरपेट भोजन कर पाते थे। इसी गरीबी के चलते वेलुमणि ने बहुत ही छोटी उम्र में काम करना शुरू कर दिया। और पहले काम के रूप में उन्हे 25 पैसे रोज मिला करते थे। उस समय उनकी उम्र मात्र 8 साल थी। कैसे जैसे करके 1978 में काम के साथ पढाई करके वेलुमणि ने स्नातक की Degree हासिल कर ली। वे अपने गांव के पहले स्नातक बने। और यह Education उन्होने सरकार द्वारा मिल रही Scholarship से हासिल की थी। 

 उन्हे एक कैप्सुल बनाने की फैक्ट्री में कैमिस्ट की नौकरी मिली। और Monthly Salary था 150 रुपये । इससे फायदा यह हुआ की वे परिवार की मदद के लिए अपने घर पर 100 रुपये Monthly भेजने लगे। 

4 साल नौकरी करने के बाद वेलुमणि ने 1982 में भाभा एटोमिक में नौकर मिली और यहां उनका वेतन 900 महिना था। इसके साथ साथ अपने बचे समय में वेलुमणि ने बच्चों को Tuition देना शुरू कर दिया और वे ज्यादा पैसा कमाने लगे और 1000  रुपयेसे भी ज्यादा पैसा अपने परिवार के भेजने लगे। 

इसी नौकरी और Tuition के दौरान वेलुमणि ने अपनी Masters और Doctorate की डिग्री हासिल कर ली। उन्होने थाईराइड में Doctorate की डिग्री हासिल की है । 

लगभग 14 साल बाद अचानक एक दिन वेलुमणि ने Job छोड़ दी और अपना ही कुछ करने का सौचा अब वेलु के पास काम का भी काफी अनुभव था। वेले ने देखा की Thyroid रोग की जांच काफी मंहगी और कठिन है। इसी का निवारण निकालते हुए वेलु ने थायरोकेयर के नाम से एक कम्पनी बनाई जो थाईराईड की जांच बहुत ही कम दर पर और अच्छी जांच करती थी। यह कंपनी कई शहरों से अपने Sample Collect करके मुम्बई आफिस लाकर उसकी जांच करती थी और लोगों का कम किमत पर बड़िया सुविधा उपलब्ध करवाती थी। 
 आज Thyrocare के भारत, नेपाल और बांग्लादेष सहित लगभग 1200 से ज्यादा Franchise है और आज Thyrocare एक सफल कंपनी है। और इसकी कीमत आज लगभग 3300 करोड़ की है। यह कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी थाईराईड Testing कम्पनी है। कंपनी की इस सफलता का पुरा श्रेय वेलुमणि को जाता है जिन्होने बुरे से बुरे हालात में भी हिम्मत से काम लिया और अपनी मेहनत और लगन से गरीबी को भुलाकर सफलता हासिल कि किसी ने सही कहा है कि सफलता का कोई Short-Cut नहीं होता है उसे सिर्फ मेहनत लगन और लगातार काम करके ही हासिल किया जा सकता है।

Subscribe to receive free email updates: