यह नवाबी शहर अपने गंगा जमुनी मिजाज़ के लिए मशहूर है। मौजू दौर में भी इस बात को आगे बढ़ा रहे हैं , आकाशवाणी लखनऊ के कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रतुल जोशी ।प्रतिष्ठित साहित्यकार पिता श्री शेखर जोशी के पुत्र होने के नाते उन्हें बचपन से ही अदबी माहौल मिलता रहा।22मार्च 1962को जन्मे श्री जोशी की पढ़ाई पूरब का आक्सफोर्ड कहे जानेवाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई।आकाशवाणी में अपनी सेवा की शुरुआत उन्होंने बतौर प्रसारण अधिशाषी शुरु की और पदोन्नति पाकर जब वे कार्यक्रम अधिशाषी बने तो उन्होंने एक से एक बेहतर कार्यक्रम निर्माण किया।अपनी नार्थईस्ट की पोस्टिंग में आकाशवाणी शिलांग में रहते हुए वे खासी ज़ुबान के कार्यक्रम के भी इंचार्ज रहे।पूर्व में अप्रैल 2011से अक्टूबर 2013 तक और फिर वर्तमान में इस केन्द्र पर नियुक्ति के दौरान 2जनवरी 2017से इस समय तक वे कुशलतापूर्वक आकाशवाणी लखनऊ के उर्दू कार्यक्रम की देखरेख कर रहे हैं।इससे पूर्व वर्ष 1993 में जब वे आकाशवाणी लखनऊ में ही प्रसारण अधिशाषी पद पर थे तो उन्हें ऊर्दू ज़ुबान और अदब से इतना लगाव हुआ कि उन्होंने लखनऊ उर्दू अकादमी से ऊर्दू में डिप्लोमा कोर्स भी किया था।ब्लॉग लेखक से गत 5 फरवरी को आकाशवाणी केन्द्र पर हुई एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि भाषाएं जोड़ने का काम करती हैं और अनेकता में एकता की भावनाओं को बल भी देती हैं।उन्होंने इस शेर से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया-
"हम कोलंबस इल्म ओ अदब के,
हमने दुनिया छानी है ।
हमसे पूछो किस दरिया में ,
कितना गहरा पानी है !"
श्री प्रतुल जोशी कार्यक्रम अधिशाषी , आकाशवाणी लखनऊ की इस गंगा जमुनी अदबी मुहब्बत पर प्रसार भारती परिवार को भी नाज़ है।उनसे इस दिशा में और भी क़ामयाबी पाने की उम्मीद बरक़रार है।
द्वारा योगदान :-प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,लखनऊ।ईमेल;darshgrandpa@gmail.com