वेब रेडियो को अपने मोबाइल, कम्प्यूटर व लैपटॉप पर स्थापित करना है तो संचार का नया माध्यम, वेब रेडियो पुस्तक पढ लें। वेब रेडियो को समय और स्थान की सीमा में नहीं बांधा जा सकता है और भौगोलिक दायरों को तोड़ कर ज्ञान और मनोरंजन को हासिल करने में यह पुस्तक आपकी सहायता करेगी।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के प्रभारी असिस्टेंट प्रोफेसर डा कुंजन आचार्य व दूरदर्शन की प्रस्तोता रही डा रेनू श्रीवास्तव इस पुस्तक के लेखक है। डा आचार्य ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि वेब रेडियो पर पुस्तक के रूप में नहीं, इन्टरनेट के सागर में भी बहुत कम सामग्री है। इसके चलते वेब रेडिया को जानने के इच्छुक आमजन व विशेषकर विद्यार्धियों को खासी सहायता देगी।
यह है वेब रेडियो
प्रिन्ट व इलेक्ट्रॉनिक में लगभग डेढ़ दशक का अनुभव रखने वाले डा कुंजन आचार्य ने बताया कि वेब रेडियो अपने श्रोताओं तक सीधे पहुंचने का प्रसारकों को लाभ देता है। वेब रेडियो के माध्यम से हम छोटे से छोटे रेडियो स्टेशन को भी जहां पर इंटरनेट की सुविधा उपलबध है, सुन सकते हैं। हिमांशु पब्लिकेशन्स उदयपुर की ओर से प्रकाशित पुस्तक के वितरक आर्य बुक सेंटर हैं, लेकिन इसे आॅनलाइन भी मंगवाया जा सकता है।
बदल रहा है रेडियो
दरअसल डिजिटल क्रांति का असर श्रव्य माध्यम के सबसे लोकप्रिय रूप रेडियो पर भी पड़ा है और इसलिए अब रूप बदलकर यह वेबरेडियो के रूप में आया है। परम्परागत रेडियो या एफएम को निश्चित जगह पर ही सुना जा सकता है लेकिन वेव के दायरे में ना दूरी का बंधन है और समय का। इसके अलावा दोनों में सार्वजनिक प्रसारण का का बुनियादी अंतर भी है। कम्प्यूटर डिवाइस के माध्यम रेडियो का अनुभव करने का एक नया तरीका भी है। इससे सुनने के लिए श्रोता को निश्चित तौर पर एक नए इन्टरफेस अर्थात स्क्रीन, की बोर्ड व माउस का उपयोग करना पड़ता है।
लिंक :- https://m.patrika.com/…/reading-this-book-you-can-start-yo…/साभार : पत्रिका, 17 मार्च 2018
स्रोत और श्रेय :- श्री. श्री. झावेंद्र कुमार ध्रुवजी के फेसबुक अकाउंट से