Tendulkar Retired When He Was on Top, Boris Becker Did So and Many More Voluntarily Retired after Enjoying The Peak for Some-time. How Fulfilling It Is to Climb on A Hill, Reach the Top and then Gracefully Start the Descend.
It Has Been a Beautiful Journey Together - Working Informally Quite Selflessly, With a Positive Mission, Trying to Spread the Fragrance of Positivity All Around the PB Parivar. During Peak, Traffic Reached More than 5k Pageviews/Day, However Now the Signs of Stagnation are becoming Visible.
Hence, Now, When We are reaching Another Milestone – The 5 Million Page Views, The Core Group Volunteers decided That Its Time to Have The Last - Most Memorable Laugh and Dissolve Our Blog, So that It Spreads Limitless and Becomes Zero.
Tirelessly for Hours, Blog Volunteers Worked Together, Laughed Together, Explored New Horizons, Worked Out of Box and Enjoyed Together – Creating Huge Stock of Memories, Which will Last Long, Long, Very Long….
Some of them, From The Depth of their Hearts are placed below as their Dil Ki Baat …
Dil Ki Baat – Sangeeta Upadhye - श्री भटनागर साहब और ब्लॉग के मेरे सभी मित्र परिवार सादर प्रणाम lसमझ में नहीं आ रहा है कि कहां से शुरुआत करूंl मुझे वह दिन याद है 2013 का ,जब भटनागर साहब ने मुझे पूछा था, क्या आप ब्लॉग का काम करोगी ?मैंने तुरंत हां कर दिया, लेकिन सच बात तो यह है कि ब्लॉग चलाने के बारे में मैं कुछ नहीं जानती थीl वह दिन शुक्रवार था घर पहुंचने के बाद मैंने तुरंत गूगल से पूछा "व्हाॅट इस ब्लॉग?" साहब ने मुझे कहा था, कि मंडे के दिन मुझे दो ब्लॉग के फॉर्मेट करके दिखानाl शनिवार और रविवार को पूरे दिन मैं अपने लैपटॉप के सामने बैठी रही lमुझे को इतना अच्छा लगा, मैं ब्लॉग के बारे में पढ़ती गई और अब यकीन नहीं आता, मैंने सोमवार को साहब को दो नहीं चार फॉर्मेट बताएंl और यह ब्लॉग के साथ प्यार का सिलसिला जारी रहा, अब तकl शुरुआत के दिन मैं दिन-रात ब्लॉग के बारे में सोचती रहती थीl ऑफिस से घर जाने के बाद घर का कामकाज निपटाने के बाद तुरंत लैपटॉप के सामने बैठी रहती थीl और कौन से फीचर्स इसमें ऐड कर सकती हूं, और कैसे खूबसूरत बना सकती हूं, बहुत खुशी से करती रहती थीl यहां तक कि ब्लॉग के सॉफ्टवेयर में भी मैंने चेंज करना सीख लियाl एक भूत सवार हो गया था मेरे सर परl दिन बीतते गए lकहीं अच्छी सीरियल हमने चलाईl इस बहाने प्रसार भारती परिवार का सही मायने में परिचय हुआl भारत केकई स्टेशन, जिनके नाम भी मालूम नहीं थे, वहां के लोगों के साथ परिचय हुआl लोगों से बातें करना मैं सीख गईl कितनी कठिनाइयों में ये लोग लड़ाख, तवांग जैसे स्टेशंस में काम कर रहे हैं यह महसूस हुआl कुछ लिखने की भी आदत लग गईl इन सभी चीजों के लिए मैं भटनागर साहब का को तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूंगी, जिन्होंने तकनीकी विश्व के बाहर की दुनिया का परिचय करायाl आप सब लोगों के साथ काम करते करते हमारा बहुत अच्छा ग्रुप बन गयाl कई बारहम लोगों ने पिकनिक इंजॉय की lरात के 12:00 बजे सिंहगढ़ पर घूमना, बारिशमें ताम्हिणी घाट में घूमना ,कितनी यादें अब मन में उमड़ रही है lसच मेंइतना वक्त कब गुजर गया, पता ही नहीं चला और अब अलविदा कहने का अवसर आया हैl मन में थोड़े से अस्वस्थता जरूर है, लेकिन एक अच्छा काम हो गया यह विचार भी उसके साथ हैl अपने घर में मंगल कार्य समाप्त होने के बाद जिस तरह से महसूस होता है, वही उलझन मन में लेकर रुकती हूं, अलविदा........
Dil Ki Baat – Bindu Nair - सभी का लेख पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मुझे भी कुछ लिखना चाहिए। आखिर ब्लॉग ने मुझे लिखना सिखाया, बात करना सिखाया। मुझे याद हैं जब भटनागर सर मुझे और सूर्यकांत कदम को एक साथ ब्लॉग का काम सिखाते थे। किस तरह से फ़ोटो में कैप्शन जोड़ना है, कैसे screenshot लेकर पोस्ट बनाना हैं आदि आदि। उस समय तो इतना उत्साह था कि अपने केंद्र पर कुछ कार्यक्रम के खत्म होते ही ब्लॉग पोस्ट बनाने की धुन रहती। यही होड़ रहती की पोस्ट कौन पहले बनाएगा। यही इंतजार रहता कि कोई matter मिले और हम अपना creativity दिखाएं । इस ब्लॉग में मेरा सबसे अच्छा part था Obituary Rememberance। दूसरे stations से बात कर फ़ोन नंबर लेना, फिर उस परिवार के सदस्य से बात करना। उनसे बात करने पर ऐसा लगता जैसे हम अपने किसी पहचान वाले से बात रहे हैं और सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा उनलोगों को भी लगता था। ब्लॉग के सभी साथियों के साथ घूमना, पिकनिक मनाना, मस्ती में कैसे समय निकलता गया पता ही नही चला। हमारा ब्लॉग एक समय बुलंदियों पर था फिर धीरे धीरे इसकी रौनक कम होती गई। इसका कारण है लोगों का सहयोग कम होना। बार बार आग्रह करने के बाद भी जब लोगों की तरफ से सहयोग नही मिलता तब मन अपनेआप निरूत्साहित हो जाता है। यह परिवार ब्लॉग है और परिवार में एक दूसरे का सहयोग भी लगता है.... लेकिन जैसा कि सूर्योदय के बाद सूर्यास्त होता है और अगले दिन फिर ताज़गी के साथ सूर्योदय होता है वैसे ही यह ब्लॉग भी समाप्त होकर कुछ नए रूप में अवतरित हो जाये ऐसा उम्मीद करते है। सभी साथियों को धन्यवाद।।
Dil Ki Baat – AK Hebbalkar – सर, शायद इंग्लिश में अपनी भावना प्रकट ना कर सकू , इसलिए हिंदी .........आपने लिए हुए निर्णय का सम्मान करते हुए और इस निर्णय तक पहुंच ने तक आप ने हर दृष्टिकोण से विचार करते हुए आपने धैर्य का परिचय दिया .धैर्य इसलिए कह रहा हु की बुलंदी से निचे उतरनेके लिए मानसिक रूप से अपने आप को तैयार करना इतना आसान नहीं है .
भटनागर सर, आप के साथ काम करना हमेशा मैंने एन्जॉय किया है.आप का आउट ऑफ़ बॉक्स सोच मुझे हमेशा प्रभावित करती है.ब्लॉग का अनुभव जीवन भर अच्छा खुशियों भरा खजाना याद देते रहेगा ,I have experimented new things no. of times for blog work. मुझे लगता है कि I have grown as a person while doing the blog work. ब्लॉगकी वजह से हमारा एक साथ जमावड़ा ,घूमना ,गाना ,मौज मस्ती, एक अलग दुनिया में लेकर जाती थी ,आप भी DDG पद को ऑफिस में छोड़कर मौज मस्तीमे दोस्त की तरह रहकर माहौल को हल्का फुल्का करते थे. Sir u r the reason for this golden moments we enjoyed.. Regards, ABDULRAZAK
Dil Ki Baat – Jyoti Kaulwar - It was a wonderful experience to work as a member of Core Blog team. This gave me a exposure to social networks and blog writings. During this process I came across so many technical aspects of Information Technology. Through this blogs we came to know about various events and achievements of AIR members across the India.
I am very much thankful to Bhatnagar Sir, who initiated this process and considered me as a member. My sincere thanks to all those who directly or indirectly helped me during this period.
Dil Ki Baat – Prasar Karadkar - नमस्कार, अक्टूबर २०१३ में आकाशवाणी पुणे वापस आया तो माहोल बदला बदला सा पाया। भटनागर सर के नेतृत्व में कई गतविधिया चल रही थी । हर कोई किसी ना किसी काम में व्यस्त था । लेकिन मुख्य रूपसे प्रसार भारती परिवार ब्लॉग की चर्चा होती थी । उस चर्चा को सुनकर मेरी भी उस्तुकता जागृत होती थी । मन मे इस गतविधिसे जुड़नेकी चाह थी तभी श्रीमती संगीता उपाध्ये मैडम ने मुझे बुलाकर जुडने की बात कही। मैंने तुरंत हामी भर दी । वह दिन था २५ जून २०१४ । तबसे इस ब्लॉग से जुड़ा हु । शुरवात में कठिनाइया आती थी लेकिन उपाध्ये मैडम, योगेश होशिंग और हेब्बालकर की मदत से सिखता गया । इस काम में रुची बढ़ने लगी । हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में लिखनेका मौका मिला जिससे इन भाषाओंका ज्ञान प्राप्त हुआ । प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में विभिन्न केन्द्रोमें काम करनेवाले साथीयोंसे पहचान हुई । कम्प्युटरके बारे में तथा सोशल मीडिया के बारेमें अधिक जानकारी प्राप्त हुई । इस काम को करने में आनंद आता था । देर रात नींद नहीं आती तो ब्लॉग का काम करता था । औसतन हर साल ५०० पोस्ट को कोम्पोज किया । श्री भटनागर सर प्रोत्साहन देते थे जिससे नया उत्साह का संचार होता था । एक सेरिज मैंने चालू की थी " Remembering Doordarshan's old News Readers and Anchors" इसमे सलमा सुल्तान की पोस्ट को ब्लॉग मेम्बर्स ने काफी सराहा । भटनागर सर और उपाध्ये मदाम ने मेरा अभिनंदन किया । ऐसे कई अवसर हमने एंजॉय किए । नए साथी जुड़ जाते थे जब पुराने साथियोंका तबादला होता था जैसे की होशिंग, नेहा खरे सुरेखा वैद्य, सुषमा सुरडकर, उज्वला भावे, सूर्यकांत कदम और उपाध्ये मैडम पुणे से गए तो नए साथी ज्योती कौलवार, रश्मी रिमाझिम, पुश्पेश क्रान्ति, धनंजय पटवर्धन, हरेन्द्र पंडित और कुलकर्णी मैडम जुड़ गए । बिन्दु नायर मैडम और हेब्बालकर का साथ हमेशा रहा । फिलहाल ज्योती कौलवार और पुश्पेश क्रान्ति से पोस्ट बनाने के काम में बहुत सहयोग प्राप्त हो रहा है । अब हमारा ब्लॉग जो शिखर पर है जिसके 6000 सेजादा मेम्बर्स है उसे विराम देने जा रहे है । यही उचित समय है विदाई लेने केलिए । भटनागर सर के अथक प्रयत्नोसे शुरू हुआ यह उपक्रम से जुड़ा होनेमें गर्व हो रहा है पर जुदा होने से मन को पीड़ा भी हो रही है । निरन्तर हम एक दूसरे के साथ रहे । कई अच्छी यादोंकों संजोए हुए सभी साथियोंकों धन्यवाद देता हु और भटनागर सर और उपाध्ये मैडम को मुझे इस कार्य करनेका मौका देने केलिए बहोत बहोत धन्यवाद प्रदान करता हु ।
Dil Ki Baat – Ujjwala Bhave - With a heavy heart, I am writting this last post for our blog. I take this opportunity to say a big thank you to Mr.Bhatnagar Sir ,Upadhye Madam & Hebbalkar Sir who inspired me for active participation in writing the blogs. All of you will agree and appreciate that some of the blogs have kept us inspired & charged for achieving our goals. I personally gained confidence after reading the story of the first female amputee to climb Mount Everest (Arunima Sinha). It tought me to stop giving excuses and to stretch myself for achieving some wounderful things in my life.
We all are going to miss this wonderful experience. I wish a healthy and happy life to everyone of our Blog famiily members.
Dil Ki Baat – Rashmi Rimjhim - सबसे पहले ब्लॉग के सभी सदस्यों को प्रणाम . मुझे भी इस अदभुत ब्लॉग का सदस्य बनने को मौका मिला इसके लिए श्री भटनागर सर की मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूं।पूरे प्रसार भारती परिवार को एक माला में पिरो कर रखने का काम सिर्फ इस ब्लॉग के द्वारा ही संभव हो सका हैं। ब्लॉग के काम के बहाने ही सही सारे दोस्तो से जुडे़ रखने का काम किया है। पोस्ट बनाने के लिए ही सही कुछ पढ़ने को आदत तो हुई।सच कहूं तो एक मोटिवेशनल पोस्ट बनाने के दरम्यान में बहुत सारी पढ़ लेती थी और बहुत कुछ सीखने को मिला। हालांकि पढ़ाई की मसरूफियात और तबियत नासाज रहने के कारण मैं ब्लॉग में अपना योगदान उतना नहीं दे सकी इसके लिए मै आप सबसे दोनो हाथ जोड़ कर माफी चाहती हूं। रोज ऑफिस जाकर ब्लॉग देखना मेरी ही नहीं अमूमन सबकी एक आदत सी बन गई थी। इसका बंद होना दिल में कहीं ना कहीं एक कसक सी है फिर भी आप बड़ो का फैसला सर आंखो पर...।
एक बार फिर सभी का दिल से आभार।
Dil Ki Baat – Pushpesh Kranti - फिलहाल अपने गाँव मे हूँ । ब्लॉग के बंद होने के निर्णय के बारे में पता चला। सुनकरअच्छा तो नही लगा फिर भी एक उम्मीद के साथ कि अस्त के बाद सवेरा होगा ही ,आप सभी वरिष्ठ लोगों का मिलकर लिया गया फैसला अच्छा ही होगा। एक वालंटियर्स के रूप में इस परिवार एवं ब्लॉग से अच्छी यादें जुड़ी रहेंगी। भटनागर सर ,हेब्बालकर जी,उपाध्ये मैडम आप सभी को सहयोग एवं विश्वास के के लिए कोटि कोटि प्रणाम एवं धन्यवाद।
Dil Ki Baat – Dhananjay Patwardhan - आपने बहोत सारी दिलचस्प बाते साझा की, एक चित्रपट बनकर सामने खडी हुवी. एक एक पंक्ती पढते पढते रुक नही सका. आपका भाव वीभोर विचार प्रकटी करण और 10 बरस की यात्रा ही है. सब को साथ ले कर चलना और मार्गदर्शन करना यही तो यह लंबे सफल सफर की निषानी है. समय अनुसार अलग अलग विशेष विषय, मुद्दे आपने सामने लाये, our bright children और inspirational story यह मन को भायी. कई बार मेरे ही senior friends की retirement हो गयी है यह ब्लॉग से ही पता चला था. निधन वृत कोई भी समय प्राप्त हो बिना विलंब पोस्ट हुवा करता था.
मैं तो आखिर अखिर मे अपने परिवार मे शामिल हूवा परंतु एक आपने पन का एहसास तुरंत हूवा था. मेरी तरफ से आप सभी के तुलना मे अल्प योग दान राहा. मुझे अखीर मे सेवा निवृत्त होने वाले सहकरियोका समाचार तथा पोस्ट बनानेका कार्य मिलने वाला था और अचानक यह प्यारा ब्लॉग बंद करने की खबर मिली... आफसोस महासुस हूवा परंतु यह सव परिवार का निर्णय हैं तो सर्वमान्य स्वीकार ही करना पडा..बहोत बहोत धन्यवाद.सबको प्रणाम
Dil Ki Baat – Ashish Bhatnagar - लगभग 10 साल तक प्रसार भारती परिवार ब्लॉग से जुड़े रहनेके बाद आज जब हम वॉलिंटियर्स ने इसे बंद करने का निर्णय लिया, उसके बाद से ही, या सच कहूं तो उसके पहले से ही, बहुत सी बातें दिमाग में हलचल करती रहीं -
क्यों चलाया था हम लोगों ने इतने वर्ष इस पारिवारिक उपक्रम को? क्यों निर्णय ले रहे हैं हम इसे बंद करने का? कितना आनंद आता था एक पोस्ट बनाने में, पब्लिश करने में, और कभी कभी क्यों मायूसी छा जाया करती थी? और न जाने क्या-क्या ...
हां अब जब सर्वसम्मति से पारिवारिक ब्लॉग को बंद करने का निर्णय ले लिया, तो एक चैन, शांति, एक सुखद अनुभूति से सरोबार हूं - जैसे कि एक यज्ञ की समाप्ति के बाद......
चूंकि आप परिवार के सदस्य हैंइसलिए इस निर्णय की भीतरी परतों को झाँकने के हकदार हैं, ऐसा मैं मानता हूं, इसलिए कई दिनों बाद कुछ पंक्तियां सोशल मीडिया पर साझा कर रहा हूं।
गहरा, बहुत गहरा लगाव हो गया था इस ब्लॉग से। अपना होने का एहसास और कभी कभी एक स्वामित्व का एहसास और मेरे लिए यह एक व्यक्तिगत कारण है, जिस चीज से आप बहुत चिपकने लगें, उसे एक समय के बाद छोड़ना उचित होता है । हमारे, सच कहूं तो सभी धर्मों का सार भी यही है और 55 वर्ष पूरे होने के बाद यह बात मुझे बार-बार पुकारती थी....
हां, लेकिन सिर्फ यह फिलासफिकल कारण ही नहीं है, मेरे निर्णय का। एक साधारण इंसान की तरह व्यक्तित्व की बहुत सी कमजोरियां जिसमें लोगों से अपेक्षाएं पाल लेना - कि लोग बार-बार कहने के बावजूद भी इस ब्लॉग मैं अपना योगदान क्यों नहीं देते? कार्यालय में रिटायर हुए लोगों के बारे में क्यों नहीं बताते? अपने बच्चों के डिटेल क्यों नहीं शेयर करते?.. और जब इन अपेक्षाओं का पूरा न हो पाना कड़वाहट को जन्म देने लगे तो यह नुकसानदायक है ऐसा लगा मुझे ।
तीसरा - कभी-कभी अपना छोटा सा प्रयास करते करते हमारे भीतर परिवार के ठेकेदार होने की भावना उठने लगती है जो अच्छी बात नहीं। यह भावना कि हम बहुत बड़ा काम कर रहे हैं बाद में हमें शर्मसार करती है।
समय के साथ हर चीज बदलती है और हर चीज की एक उम्र भी होती है, जिस का सम्मान करते हुए समय पर उसकी ईति कर देना ठीक लगा ।
लगभग 50 लाख पेजव्यूज - इस यात्रा में हम ऊंचाइयों तक पहुंचे जहां प्रतिदिन 5000 लोग इस ब्लॉग को देखा करते थे और प्रतिदिन 3, 4 पोस्ट लोगों से प्राप्त होतीं थीं, जो समय के साथ कम होना लाजमी ही प्रतीत होता है, इसलिए हमने इस कार्य से रिटायर होने का निर्णय लिया।
वैसे सच कहूं तो यह यात्रा अत्यंत आनंददायक रही, बहुत प्रेम पाया, बहुत सार्थकता महसूस हुई और बहुत कुछ सीखा । बहुत अच्छा उन क्षणों में लगता रहा जब हमारी ब्लॉग वॉलिंटियर बिंदु जी, हमारे स्वर्गवासी मित्रों की पुण्यतिथि के दिन, उनके परिवारों से बात करती थी और मेरी भी बात करा देती थीं, ऐसा लगता था की हमारे साथी ऊपर स्वर्ग से हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। उनकी पत्नी और बच्चों की आत्मीय बातें हृदय को भीतर तक भिगो जाती थीं। मैं इसके लिए सदा बिंदु जी का ऋणी रहूंगा। हमारे ब्लॉग की एडमिनिस्ट्रेटर श्रीमती संगीता उपाध्याय तो वाकई अद्भुत महिला है, उनकी कर्तव्यनिष्ठा और लगन मेरे लिए सदा प्रेरणादायक रही है। श्री प्रसाद कराड़कर, ज्योति कोलवार और अन्य मित्र चुपचाप रोज - कभी रात 12:00 बजे तो कभी सुबह 3:00 बजे पोस्ट बनाते रहे। उनकी यह भावना, जैसे कि वह पूजा कर रहे हैं, मुझे बहुत कुछ सिखा गई। अब्दुल हेब्बालकर तो रमता जोगी बहता पानी है, हर तरह के काम, ब्लॉग के सभी मेंबर्स को उत्साहित करते रहने का काम और रोज रात पोस्टों को देखकर उन्हें शेड्यूल करने का काम निरंतर करते रहे, उनको मेरा सलाम। ब्लॉग के बाकी सभी मेंबर, सभी का योगदान महत्वपूर्ण रहा। श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी लखनऊ से आती लगातार पोस्टों और उनकी लगन को देखते हुए उनके प्रति विशेष आदर निर्माण हुआ। हां, इस ब्लॉग के साथ जुड़े कुछ अन्य साथी, जैसे योगेश होशिंग, नेहा खरे, सुषमा सुराडकर, प्रवीण, अशोक, इनका योगदान और इनका साथ अविस्मरणीय रहेगा।
आज इस प्लेटफार्म से आप सभी को नमन करते हुए मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि हम सभी को ज्ञान और प्रेम से सरोबार कर दें। आप और हम हमेशा किसी के काम आते रह सकें, ऐसी ताकत हमें बक्शे और आप यूं ही खिलते रहें, मुस्कुराते रहें और मुस्कान बिखेरते रहें ....
दसविदानिया
फिर मिलेंगे
आशीष