Obituary:आकाशवाणी के सेवानिवृत्त निदेशक और प्रख्यात साहित्यकार डा.मधुकर गंगाधर का निधन।

 



बिछड़े सभी बारी बारी....

डा.मधुकर गंगाधर की लोकयात्रा को विराम !

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आकाशवाणी के सेवानिवृत्त निदेशक और प्रख्यात साहित्यकार डा.मधुकर गंगाधर का आज शाम लगभग चार बजे दिल्ली में निधन हो गया है।


87 वर्षीय डा..मधुकर गंगाधर आकाशवाणी और साहित्यिक दुनियां की जानी - मानी शख़्सियत थे।उन्होंने रिटायरमेंट के बाद एक बार बिहार  विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था।

डा. मधुकर गंगाधर का जन्‍म पूर्णिया जिले के झलारी गाँव में 1933 ई. में हुआ था। वे उनतीस वर्ष तक ऑल इंडिया रेडियो की सेवा से जुड़े रहे।उन्होंने अनेक विधाओं में लेखन किया। उनकी प्रकाशित कृतियों में दस कहानी-संग्रह, आठ उपन्‍यास, चार कविता-संग्रह, तीन संस्‍मरण पुस्‍तकें, तीन नाठक और चार अन्‍य विधाओं की रचनाऍं शामिल हैं। उपन्‍यासों के नाम हैं-मोतियों वाले हाथ, यही सच है, उत्‍तरकथा, फिर से कहो, सातवीं बेटी, गर्म पहलुओं वाला मकान, सुबह होने तक तथा जयगाथा।

उनके कहानी-संग्रह हैं- नागरिकता के छिलके (1956), तीन रंग:तेरह चित्र (1958), हिरना की ऑंखें (1959), गर्म गोश्‍त:बर्फीली तासीर (1965), शेरछाप कुर्सी (1976), गॉंव कसबा नगर (1982), उठे हुए हाथ (1983), मछलियों की चीख (1983), सौ का नोट (1986) तथा बरगद (1988)

।आकाशवाणी से उनसे जुड़े लोग उनके परिजनों से अपनी शोक संवेदना इस मोबाइल नं.पर व्यक्त कर सकते हैं-9350208252.


प्रसार भारती परिवार अपने इन पुरोधा के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है और प्रार्थना कर रहा है कि ईश्वर उनकी आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें ।


स्त्रोत:प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ।

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