इलाहाबाद के बारे में स्व.धर्मवीर भारती ने लिखा है : "अगर पुराने जमाने की नगर-देवता की और ग्राम-देवता की कल्पनायें आज भी मान्य होती तो मैं कहता कि इलाहाबाद का नगर-देवता जरूर कोई रोमांटिक कलाकार है। ऐसा लगता है कि इस शहर की बनावट, गठन, ज़िन्दगी और रहन सहन में कोई बँधे-बँधाये नियम नहीं,कहीं कोई कसाव नहीं, हर जगह एक स्वच्छन्द खुलाव, एक बिखरी हुई-सी अनियमितता। बनारस की गलियों से भी पतली गालियाँ और लखनऊ की सड़कों से चौड़ी सड़कें। यार्कशायर और ब्राइटन के उपनगरों का मुकाबला करने वाले सिविल लाइन्स और दलदलों की गंदगी को मात करने वाले मुहल्ले। मौसम में भी कहीं कोई सम नहीं, कोई संतुलन नहीं। सुबहें मलयजी, दोपहरें अंगारी, तो शामें रेशमी! धरती ऐसी की सहारा के रेगिस्तान की तरह बालू भी मिले, मालवा की तरह हरे-भरे खेत भी मिलें और ऊसर और परती की भी कमी नहीं।"सचमुच इलाहाबाद है ही एक अनूठा शहर ।
इस शहर को आकाशवाणी केन्द्र की सौगात पहली फरवरी 1949को मिली थी जब हवा में पहली बार आकाशवाणी के पुरोधा स्व.नर्मदेश्वर उपाध्याय ने उदघोषणा की थी: "आकाशवाणी का यह इलाहाबाद केन्द्र है।"अपनी 71वर्ष की सुदीर्घ यात्रा में इस केन्द्र ने साहित्य,संगीत,अध्यात्म, शिक्षा और संस्कृति की असंख्य धाराएं बहाई हैं।अनेक विशालकाय कुम्भ आयोजनों को विश्व पटल तक पहुंचाया है और असंख्य कलाकारों से श्रोताओं का परिचय कराया है।उदघोषणा की दुनियां को शीर्ष पर ले जाने वाले लोगों में से एक हैं-श्री हरि मालवीय जिन्होंने अनेक दशक इस केन्द्र को अपनी मूल्यवर्धित सेवाएं दी हैं।अपने रिटायरमेंट के बाद भी वे अपनी सक्रियता को नया आयाम देते रहे हैं।उम्र की 81वीं पायदान पर पहुंच रहे श्री मालवीय इन दिनों अपने बेटे निखिल मालवीय के साथ संगीत साधना में व्यस्त और मस्त हैं।उनकी पौत्री गौरांगी ने पिछले दिनों यूट्यूब पर " सूदिंग ट्यून्स : दि मेमोरी लेन/की बोर्ड ट्रैक " नाम से ब्लैक एंड व्हाइट पहला वीडियो एलबम भी डाला है जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं।
ब्लॉग लेखक का भी यह सौभाग्य रहा है कि वह इन जैसे तमाम गुणी कलाकार के सानिध्य में रह चुके हैं और इनके चुम्बकीय और बहु आयामी व्यक्तित्व से परिचित हैं।प्रसार भारती परिवार को अपने इन पुरोधाओं पर गर्व है और वह इन सभी के शतायु होने की कामना करता है।
प्रेषक :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ
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