मथुरा। जे आकाशवाणी कौ मथुरा-वृंदावन केंद्र है, सिनजा के छह बजवै वारे है सब सुनवे वाले भइयान कूं राम-राम, अब सब भइया सुनेंगे दैनिक ब्रज ग्रामीण कार्यक्रम। श्रोताओं की फरमाइश पर फिल्मी गीत सुनाने के वाले कार्यक्रम नवरंग ने इस केंद्र को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया। मथुरा वृंदावन मार्ग स्थित आकाशवाणी का ये केंद्र ब्रज क्षेत्र का पहला आकाशवाणी केंद्र रहा। इस केंद्र ने ब्रज के पांच हजार से अधिक लोक कलाकारों की कला को संजीवनी देने का काम किया।
29 जनवरी 1967 को ब्रज के इस आकाशवाणी केंद्र की स्थापना हुई। प्रारंभ में ये केवल मथुरा केंद्र था जिसे बाद में मथुरा-वृंदावन केंद्र नाम दिया गया। ब्रज की लोक कला, लोक कथा और संस्कृति को लोगों तक पहुंचाने के लिए सायं ब्रज ग्रामीण कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है।
इसमें विषय विशेषज्ञों की वार्ता और श्रोताओं के सवाल शामिल किए जाते हैं। इसी के साथ इस केंद्र पर रात्रि नौ बजकर 15 मिनट पर नवरंग कार्यक्रम पेश किया जाता है इसमें श्रोताओं की फरमाइश पर उनकी पसंद का गीत सुनाया जाता है। इस केंद्र का हवामहल कार्यक्रम भी खासा लोकप्रिय रहा। इस आकाशवाणी केंद्र ने ब्रज की लोक कलाओं, नोटंकी, ढोला, वाद्ययंत्रों को बजाने वाले करीब पांच हजार कलाकारों की कला को संजीवनी देने का कार्य किया।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का सुनाया जाता है आंखों देखा हाल
मथुरा। मथुरा-वृंदावन के आकाशवाणी केंद्र से आज भी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तथा बरसाना की प्रसिद्ध लठामार होली का आंखों देखा हाल सुनाया जाता है जिसे दिल्ली सहित सभी केंद्र एक साथ प्रसारित करते हैं। केंद्र की स्थापना से ही आकाशवाणी से जुडे़ वरिष्ठ उद्घोषक राधाबिहारी गोस्वामी ने बताया लोक कला, लोकगीत, ब्रज की भाषा और संस्कृति के लिए ये केंद्र एक वरदान साबित हुआ है।
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द्वारा अग्रेषित :- श्री. जावेंद्र कुमार ध्रुव जी