जो वतन की धूल को माथे लगाकर चल दिए..



ताज महोत्सव के तहत मंगलवार को सूरसदन में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। देश के अमर सैनिकों को समर्पित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से ओज रस का संचार कर श्रोताओं में जोश भर दिया। वाह-वाह के बीच भारत माता की जय के जयकारे गूंजते रहे।

आकाशवाणी द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ आकाशवाणी के केंद्राध्यक्ष रमाशंकर और कार्यक्रम प्रमुख डॉ. राज्यश्री बनर्जी ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया। केंद्राध्यक्ष रमाशंकर ने कहा कि बदलते परिवेश में भी आकाशवाणी अपने स्थान पर तटस्थ है और सार्वजनिक प्रसारक की भूमिका निभा रहा है। कार्यक्रम प्रभारी राज्यश्री बनर्जी ने कहा कि देश के वीर जवानों और उनकी शहादत को नमन करते हुए हमारा आयोजन उन्हें समर्पित है। इसके बाद कवि सम्मेलन शुरू हुआ। आगरा के डॉ. अंगद धारिया ने कविता 'पुलवामा में हुए शहीद, मैं उनको नमन करूं, जिन मांओं ने जन्म दिया..' सुनाकर वातावरण को देशभक्ति पूर्ण बना दिया। लखनऊ से आईं सरला शर्मा ने 'बहुत हुई अब शांति वार्ता अब हथियार उठाना है, पुलवामा के ¨हर शहीदों का अब कर्ज चुकाना है..' सुनाया। आगरा की डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने सीमा की रक्षा में तैनात सैनिकों की पत्नियों के मन की वेदना अपनी रचना 'मेरे प्रेम की ओढ़ चुनरिया डोलूं मन के गांव रे। राह निहारूं कब से तेरी बैठी पीपल छांव रे..' सुनाई तो तालियां गूंज उठीं।

बरेली के डॉ. राहुल अवस्थी ने कविता 'हमारे धैर्य में अब और खूंटा ठुक नहीं सकता, हमारे राष्ट्र का पौरुष पराक्रम चुक नहीं सकता..' सुनाया। आगरा के कवि राज बहादुर राज ने कविता 'मरा नहीं है आंखों का पानी, मैंने बेची नहीं जवानी है, मेरे देश मैं तेरी खातिर कर दूंगा सौ-सौ कुर्बानी..' सुनाया। अलीगढ़ से आए कवि अशोक अंजुम ने 'जो वतन की धूल को माथे लगाकर चल दिए, सरफरोशी के नए नगमे सुनाकर चल दिए, देश से बढ़कर नहीं कुछ वे बताकर चल दिए..' सुनाकर श्रोताओं को भाव विह्वल कर दिया। जयपुर से आए इकराम राजस्थानी ने 'उनकी सरहद पर बनी है दीवाली ईद, सपने सच होते रहे, जिनके रोज शहीद, जय भारत जय भारती, जय जय हिंदुस्तान , ये वीरों का मंत्र है, ये भारत का गान..' सुनाया। आगरा की कवयित्री डॉ. शशि तिवारी ने 'हुए जो देश के लिए शहीद, बने उनके हम सभी मुरीद, लगा दी बाजी जान की, बार-बार है रखी लाज मेरे ¨हदुस्तान की..' सुनाया। वरिष्ठ कवि सोम ठाकुर ने गीत 'नफरत का सिक्का खोटा है, जो लेना है माटी से ले ले, मत पाल तबाही का जुनून, कुछ काम समझदारी से ले..' सुनाया। मथुरा से आए मनवीर मधुर और सिरसागंज से आए बहादुर सिंह निर्दोषी ने भी काव्यपाठ किया। आकाशवाणी आगरा के कार्यक्रम अधिशासी नीरज जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। जिला जज अजय कुमार श्रीवास्तव, आकाशवाणी के अजय कुमार आदि मौजूद रहे।

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द्वारा अग्रेषित :- श्री. झावेन्द्र कुमार ध्रुव
jhavendra.dhruw@gmail.com

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