Source : Mamta Singh
दुनिया की सबसे क्रूर सच्चाई है इस फ़ानी दुनिया से चले जाना। जाने वाले की स्मृतियां कभी पुरानी नहीं पड़तीं।
जैसे अभी की बात हो..... अप्पा जी विविध भारती के स्टूडियो में आई थीं, संगीत सरिता की श्रृंखला की रिकॉर्डिंग के लिए..... और मुझे उन से ना केवल मिलने का मौका मिला, बल्कि रूपाली कुलकर्णी जी के सौजन्य से बातचीत करने का भी मौका मिला।
वह भी संगीत सरिता की कई कड़ियों में....। कितने-कितने ढेर सारे रोचक किस्से उन्होंने सुनाए। उन्हें उम्र की ढलान में भी गुड़ियों का अनोखा शौक था। उन्होंने बताया था कि उनके पास तरह तरह की अनगिनत गुड़ियों का ख़ज़ाना है। उनके बहुत सारे मित्र जिन्हें पता था वे उनके लिए उपहार स्वरूप गुड़िया लाया करते थे। ठेठ बनारसी नफ़ासत, लंबी नाक में चमचमाती हीरे की लौंग, उस रोज उनकी बाला की खूबसूरती देखते ही बन रही थी। सुरों के लोच ....उनकी गाई अद्भुत बोल बनाव की ठुमरीऔर उसका सौंदर्य .......हम सब मंत्रमुग्ध हो कर उन्हें सुन रहे थे .....।उनकी गाई ठुमरियां हम जैसे संगीत रसिकों को आनंद से सराबोर कर देती हैं । वो आने वाली पीढियों के लिए संगीत की किताब की तरह हैं। अप्पा जी को अश्रूपूरित नमन।
Source : Mamta Singh