एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनका संबोधन क्षेत्रीय भाषा जैसे कि मराठी में भी सामने आए तो यह और ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा ।मंत्री ने कहा कि वह हिंदी में संबोधित करना चाहती थीं लेकिन बताया गया कि व्याख्यान का इतिहास रहा है कि यह हमेशा अंग्रेजी में हुआ है। ईरानी ने अपने संबोधन में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का इस्तेमाल करते हुए कहा कि आजादी के बाद भारत की एकता के लिए अपना योगदान देने वाले पटेल कैसे सोचते कि उनका स्मृति व्याख्यान केवल अंग्रेजी में हो। लोक हित को फायदे और कारोबारी हितों से ऊपर बताते हुए उन्होंने कहा कि दूरदर्शन और आकाशवाणी को चलाने वाले प्रसार भारती देश के उन हिस्सों में सेवाएं मुहैया कराता है जहां निजी क्षेत्र के प्रसारक वहां जाना ना तो इसे वाजिब और न लाभकारी समझते हैं। मंत्री ने कहा कि प्रसार भारती पर भारी जिम्मेदारी है क्योंकि कई भाषाओं में कहने के लिए कई कहानियां होती है और उसे जनहित में कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक प्रसारक खबरों के परिप्रेक्ष्य में ''आम मसाला किस्म की खबरों से दूर रहकर '' देश की सेवा करता है। इस तरह की खबरों को ज्यादा तो देखा जा सकता है लेकिन देश के व्यापक हित में नहीं होता ।उन्होंने कहा , ''प्रसारक के तौर पर हम सबसे बड़ी सेवा खबर देकर कर सकते हैं ना कि नाटकीय तत्व जोड़कर। '' ईरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'मन की बात' कार्यक्रम एक आदर्श उदाहरण है कि किस तरह प्रौद्योगिकी मंच ने प्रधानमंत्री के संदेश को नागरिकों की समझ और हरेक एपिसोड में उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर जागरूकता से जोड़ा है ।
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Forwarded By :-Jhavendra Kumar Dhruw jhavendra.dhruw@gmail.com
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