आकाशवाणी भोपाल में एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन....

 आकाशवाणी भोपाल राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा विगत 13 दिसंबर 2019 को एक पूर्णकालिक एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
आकाशवाणी भोपाल विज्ञापन प्रसारण सेवा तथा अतिरिक्त महानिदेशक कार्यालय मध्य क्षेत्र 2 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे आकाशवाणी के पूर्व केंद्र निदेशक तथा हिंदी के जाने-माने लेखक और साहित्यकार डॉ महावीर सिंह कार्यक्रम की अध्यक्षता आकाशवाणी भोपाल की केंद्राध्यक्ष श्री धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने की ,जबकि कार्यक्रम में आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री विश्वास केलकर भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे ।
शुभारंभ के अवसर पर सबसे पहले मुख्य अतिथि अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि ने माल्यार्पण के पश्चात दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का बिधिवत शुभारंभ किया । तत्पश्चात मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया ।
कार्यशाला में आकाशवाणी भोपाल ,विज्ञापन प्रसारण सेवा तथा अतिरिक्त महानिदेशक कार्यालय, आकाशवाणी मध्य क्षेत्र -2 भोपाल कार्यालयों के अधिकारियों और कार्मिकों ने हिस्सा लिया ।
कार्यशाला के आरंभ में आकाशवाणी भोपाल के पूर्व सहायक निदेशक व समन्वयक राजभाषा श्री राजीव श्रीवास्तव ने एक दिवसीय पूर्णकालिक हिंदी कार्यशाला के शुभारंभ समारोह का संचालन करते हुए आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला ।
हिंदी कार्यशाला के अवसर पर अपने आशीर्वचन में मुख्य अतिथि डॉ महावीर सिंह ने कहा कि, हम सबके जीवन में कुछ चीजें महत्त्व रखती हैं, जिनमें मातृभाषा का स्थान,मां की तरह होता है अपने परिवार जन्म लेते ही संतान,सबसे पहले भाषा सीखती है और धर्म तथा अन्य चीजें भी समाज में हम एक दूसरे से ही सीखते हैं । आपने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी 43 से अधिक भाषाएं बोलियां हैं जबकि 1921 की जनगणना को ध्यान में ले तो भाषाएं, स्थानीय भाषाएं ,बोलियां तथा अन्य समाजो में प्रचलित जन जातीय बोलियां आदि मिलाकर भारत में कुल 1760 भाषाएं और बोलियां प्रचलन में थीं । जहाँ तक हिंदी का सवाल है ,हिंदी के सरलीकरण में महात्मा गांधी का बहुत योगदान रहा है। गांधी जी ने हिंदी के सरलीकरण और इसके स्वरूप को लेकर सरलीकरण किया ,लेकिन वह अधिक प्रचलन में नहीं आ सका ,अन्यथा हिंदी भाषा की सहजता के कई मार्ग खुल जाते । आपने आगे कहा कि, ,पूज्य बापू ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने के लिए,गांधी जी ने हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल किया,क्योंकि वे जानते थे कि, हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के सबसे बड़े भूभाग में बोली जाती और समझी जाती है तथा संपर्क भाषा के रूप में हिंदी से अच्छी कोई दूसरी भाषा नहीं हो सकती । अपनी बात को समाप्त करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि, हिंदी की शक्ति ने ही पूरे देश को एक सूत्र में जोड़कर, स्वतंत्रता आंदोलन खड़ा किया और देश को स्वतंत्रता दिलबाई ।
इसके पूर्व आकाशवाणी भोपाल के केंद्राध्यक्ष श्री धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने हिंदी भाषा हिंदी कार्यशाला आयोजन के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि , महात्मा गांधी ने सदैव हिंदी को एकता और संपर्क सूत्र में जोड़ने वाली सबसे शक्तिशाली भाषा के रूप में माना और उसका इस्तेमाल किया आपने कहा कि, हिंदी केंद्र सरकार के कार्यालयों की राजकाज की भाषा अर्थात राजभाषा है अतः हम सब के दायित्व इसके कार्यान्वयन के प्रति बहुत बढ़ जाते हैं और हम सबको मिलकर राजभाषा हिंदी में अधिक से अधिक कार्यालय में काम करना चाहिए । आपने कहा कि कार्यान्वयन के दौरान और कामकाज के दौरान कुछ कठिनाइयां आतीं है उन्हीं कठिनाइयों को दूर करने के लिए,हम इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन प्रति तिमाही करते हैं ताकि आपके मन में उठ रही शंकाओं,प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान प्रदान किया जा सके ।अपने संबोधन के अंत में श्री श्रीवास्तव ने कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन का दायित्व सभी अधिकारियों और कार्मिकों का है और हम सबको मिलकर हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हम राजभाषा कार्यान्वयन के निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सकें ।
आकाशवाणी भोपाल के कार्यक्रम प्रमुख श्री विश्वास केलकर ने,कार्यशाला आयोजन अवसर पर अपने उदबोधन कहा कि,जैसा हम सभी जानते हैं कि हिंदी एक ऐसी भाषा है, जो बहुत सहज,सरल तरीके से सीखी जा सकती है और इस भाषा में ऐसी शक्ति है जो पूरे देश को एक संपर्क भाषा के रूप में, एक दूसरे के साथ जोड़ती है । आपने आगे कहा कि, कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदी का प्रचलन है और हिंदी के प्रचार प्रसार में ,हिंदी फिल्मों और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों तथा प्रिंट मीडिया का बहुत योगदान है । चूँकि हिंदी हम सबके राज-काज की भाषा है एवं हमारा कार्यालय "क" क्षेत्र के अंतर्गत आता है इसलिए हम सभी को अपना कार्यालयीन कार्य केवल हिंदी में ही करना चाहिए ,ताकि हम हिंदी के विकास में सहभागी बन सकें ,यही हमारा कर्त्तव्य और दायित्व है ।  
कार्यशाला के प्रथम सत्र में पूर्व केंद्र निदेशक मुख्य अतिथि व हिंदी के जाने-माने लेखक डॉ महावीर सिंह ने,"हिंदी के सरलीकरण में ,गांधीजी का योगदान" विषय पर अपना व्याख्यान दिया,जबकि दूसरे सत्र में "राजभाषा हिंदी का कार्यान्वयन और हमारे दायित्व" विषय पर आकाशवाणी भोपाल के उपनिदेशक अभियांत्रिकी व केंद्राध्यक्ष श्री धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । कार्यशाला के तीसरे और अंतिम सत्र में "हिंदी पत्राचार में,सहज,सरल हिंदी का प्रयोग" विषय पर पूर्व सहायक निदेशक/समन्वयक राजभाषा आकाशवाणी राजीव श्रीवास्तव ने ,अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । तीसरे और अंतिम सत्र में चर्चा सत्र के दौरान सभी व्याख्यानकर्ताओं ने,कार्यशाला में उपस्थित, अधिकारियों और कार्मिकों की जिज्ञासाओं, प्रश्नों और शंकाओं के समाधान भी प्रदान किए ।
कार्यशाला के अंत में ,वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी श्री सत्येंद्र पाल सिंह ने मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विशेष अतिथि और कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति आभार प्रकट किया ।
यह कार्यशाला वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी व प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्री राजेश वंजानी की परिकल्पना एवं संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई ।
योगदान—राजीव श्रीवास्तव, आकाशवाणी भोपाल

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