पारंपरिक मूल्यों और क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करने, उसे आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आकाशवाणी जम्मू की ओर से ललदद मेमोरियल व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।
आकाशवाणी जम्मू की ओर से अभिनव थियेटर में आयोजित व्याख्यान प्रसिद्ध हिदी कवि, लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. अग्निशेखर द्वारा दिया गया। पद्मश्री प्रो. वेद घई मुख्य अतिथि थीं। प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार प्रो. काशी नाथ पंडिता, डोगरी साहित्यकार प्रसारक पद्मश्री डॉ. जितेंद्र ऊधमपुरी सम्मानित अतिथि थे। उद्घाटन मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के साथ किया गया। आकाशवाणी जम्मू के कार्यालय प्रमुख राजेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम निष्पादक कंवल कृष्ण लिद्दू ने व्याख्यान माला की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम के महत्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
व्याख्यान के दौरान, विशेषज्ञ वक्ता डॉ. अग्निशेखर ने पृष्ठभूमि और इतिहास के बारे में विस्तार से बताया कि वर्तमान समय में पंपोर में जन्मे 14वीं शताब्दी की कवयित्री ललदद और उनके रहस्यवादी कथानक का कश्मीरियों के मानस पर गहरा प्रभाव जारी है। एक उत्साही शैव फिलॉस्फर ने भाख, संस्कृत वाक की रचना की, जो कश्मीर के पहले से मौजूद समृद्ध शैव फिलॉस्फी को अभिव्यक्ति दे रहा था, ताकि आम कश्मीरी के लिए इसे सुलभ बनाया जा सके। ललदद पर हुए कार्यो पर भी विस्तार से बात की गई।
नैना सप्रू त्रिसाल ने लल भाख और पंडित भास्कर के 18वीं शताब्दी का संस्कृत अनुवाद प्रस्तुत किया। उनकी इस प्रस्तुति ने आमंत्रित मेहमानों को मंत्रमुग्ध किया। सैमी फिरोज ने हारमोनियम पर, राकेश आनंद बांसुरी, पुरुषोत्तम लाल तबला और सुनील शर्मा सिथ पर संगत की। कार्यक्रम में कई साहित्यकारों, कलाकारों ने भाग लिया। विरासत के संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की।
आकाशवाणी जम्मू कार्यक्रम प्रमुख रेणु रैना ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। सीनियर अनाउंसर माधवी शर्मा ने संचालन किया। इस आयोजन का संयोजन इंचार्ज कश्मीरी, उर्दू कार्यक्रम कंवल कृष्ण लिद्दू द्वारा किया गया था। यह इस वर्ष का तीसरा व्यख्यान माला कार्यक्रम था। कार्यक्रम विशेष प्रोग्रामिग के तहत आयोजित किया गया था।
द्वारा अग्रेषित : श्री. झावेन्द्र कुमार ध्रुव, रायपुर