ठंढक के दिन और लखनऊ की फिज़ां...धूप और बदली की लुकाछिपी.. जाता हुआ एक और साल और नये साल के स्वागत की तैयारियों के बीच प्रसार भारती परिवार के पुरोधा भारतीय प्रसारण सेवा के पहले बैच के निदेशक 87 वर्षीय श्री नित्यानंद मैठाणी से मैं अपने परिजनों के लिए नये साल की शुभकामनाएं लेने हेतु उनके इंदिरा नगर,लखनऊ स्थित आवास पर गया । तीन माह पहले पुत्र बिछोह के भयंकर दुख की पीड़ा से गुजर चुके कलाकार मैठाणी दंपति (उमा मैठाणी-नित्यानंद मैठाणी) उम्र की इस ऊंचाई पर पहुंच कर मानो जीवन के सुख - दुख की आती - जाती कड़ियों को बेहतर ढंग से समझ चुके हैं।को
उन्होंने प्रसार भारती परिवार के सदस्यों के लिए इन पंक्तियों में नव वर्ष की शुभकामनाएं दी हैं-
"न कोई रंज का लमहा , किसी के पास आए ,
ख़ुदा करे कि नया साल , सबको रास आए ।"
उन्होंने प्रसार भारती ब्लॉग की प्रशंसा करते हुए कहा है कि इसके माध्यम से प्रसार भारती से जुड़े भूले बिसरे अतीत को भी प्राण वायु मिल रही है।आकाशवाणी और दूरदर्शन से जुड़े श्री मैठाणी ने 35वर्ष तक सेवा करने के बाद आकाशवाणी आगरा से वरिष्ठ निदेशक के रुप में वर्ष 1994में रिटायरमेंट लिया था।वे अब भी लेखन में सक्रिय हैं और उनकी लिखी लगभग एक दर्जन पुस्तकें अब तक छप चुकी हैं। द्वारा
द्वारा योगदान - प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ। darshgrandpa@gmail.com