आकाशवाणी और दूरदर्शन को अपनी मूल्यवान सेवाएं देने वाले अठासी वर्षीय श्री नित्यानंद मैठाणी की नई पुस्तक "लखनऊ का सांस्कृतिक वैभव " प्रेस में जा चुकी है।
श्री मैठाणी अब तक -निमाणी (गढ़वाली उपन्यास, अछूतों के बारे),रामदेई(गढ़वाली कविताएं),याद- ए -राहत अली(जीवन वृत्त),पं.भास्करानंद मैठाणी(जीवन वृत्त),गजल साम्राज्ञी बेगम अख्तर(जीवन वृत्त)आदि नामक पुस्तकें लिख चुके हैं जिसे साहित्य और संगीत जगत में भरपूर सराहना मिली है।उच्च रक्तचाप और मधुमेह से जूझते हुए उन्होंने अपने अगले प्रोजेक्ट के बारे में ब्लाग लेखक को बताया कि वे अपनी पत्नी श्रीमती उमा मैठाणी (जो गिटार और तबला की कलाकार भी हैं) के साथ मिलकर "तबले का बृहद इतिहास" भी लिखने जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में उनके अब तक प्रकाशित संगीत सम्बन्धी लेखों तथा आकाशवाणी दूरदर्शन से प्रसारित कार्यक्रम श्रृंखलाओं का संग्रह भी हिन्दी के वरिष्ठ लेखक डा.प्रेमचंद जैन लिखने जा रहे हैं।
प्रसार भारती परिवार को अपने ऐसे होनहार वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी पर नाज़ है और वह उन्हें दीर्घायु होने की शुभकामनाएं दे रहा है।