


इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री धर्मेन्द्र श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जो हम सबको एक सम्पर्क सूत्र में जोड़कर सम्पर्क की भाषा बनी है। आपने आगे कहा कि इसका प्रयोग महात्मा गांधी ने भी सम्पर्क की भाषा के रूप में करते हुए पूरे भारत में स्वतंत्रोत्तर आंदोलन में इसका भरपूर्ण उपयोग कर सभी को कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक सूत्र में जोड़कर देश को आजादी दिलाई।
योगदान—राजीव श्रीवास्तव, ब्लॉग रिपोर्ट—प्रवीण नागदिवे