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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के वर्ष २०१७ के घोषित पुरस्कारों में समकालीन ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर अभिनव अरुण को उनके ग़ज़ल संग्रह ''बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं '' के लिए प्रतिष्ठित ''दुष्यंत कुमार पुरस्कार'' प्रदान किया किया गया है | आगामी १४ अक्टूबर २०१८ को आयोजित समारोह में पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र ,सम्मान चिह्न और पचहत्तर हज़ार रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी | साहित्य, प्रसारण और पत्रकारिता में पिछले ढाई दशक से सक्रिय सम्प्रति आकाशवाणी वाराणसी में वरिष्ठ उद्घोषक के रूप में कार्यरत अरुण पाण्डेय''अभिनव अरुण'' के दो ग़ज़ल संग्रह ''सच का परचम'' एवं ''बादल बंद लिफाफे हैं'' ,और एक कविता संग्रह''मांद से बाहर'' प्रकाशित हो चुके हैं | साथ ही ' सारांश समय का ', 'बनारस की हिन्दी ग़ज़ल ' , 'त्रिसुगंधि', 'पुष्पगंधा' व ' प्राची की ओर ' साझा संकलनों सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रमुखता से प्रकाशित होती रहती हैं | मंचो पर ग़ज़लों की प्रभावी प्रस्तुति के लिए लोकप्रिय अभिनव अरुण को 'भारतीय लेखक शिविर २०१२ – बनारस' में कविता का प्रथम पुरस्कार ,प्रगतिशील ग़ज़ल लेखन हेतु ''परिवर्तन के प्रतीक २००९'' सम्मान (परिवर्तन, वाराणसी ) ,आगमन साहित्य सम्मान २०१४ ''एवं ''आगमन भूषण सम्मान२०१६'' (आगमन ,दिल्ली ) , ग़ज़ल लेखन हेतु ''दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान २०१४'' ('संभाव्य'संस्था व पत्रिका, भागलपुर बिहार ) , और काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका(लखीमपुर खीरी)द्वारा साहित्यिक-सामाजिक योगदान के लिए ''काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान २०१७'' सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हैं | अभिनव अरुण आकाशवाणी विविध भारती के श्रोताओं के लिए भी एक जाना पहचाना नाम है | उनके द्वारा प्रस्तुत हेलो फोन इन फरमाइश वाराणसी केंद्र के श्रोताओं में काफी मकबूल है |


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(..स्रोत...समाचार पत्रों से ..साभार )

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