???????? ?????? ?? ????? ?????? (?????????) ???? ??????? ?? ????? ?? ?????? ?? ??? ?????? ??? ??????? !

गत 24 अक्टूबर को दिवंगत आकाशवाणी छतरपुर के सहायक निदेशक( कार्यक्रम) श्री हीरालाल की आत्मा की शांति के लिए उनके शिवाजी नगर , झांसी स्थित आवास पर 28अक्टूबर को परिजनों और आकाशवाणी स्टाफ की उपस्थिति में शांंति पाठ,हवन,भोज और श्रद्धांजलि सभा सम्पन्न हुआ । उनकी पत्नी श्रीमती रंजना, पुत्र द्वय प्रांजल और हर्षित, पुत्री अंशिका,भ्रातागण कुलदीप,डा.रामानंद के अलावे आकाशवाणी झांसी में कार्यक्रम अधिकारी के रुप में पदस्थ उनके भाई अमर सिंह भी सम्मिलित थे।ब्लॉग रिपोर्टर हतप्रभ है कि लगभग 8वर्ष उम्र में छोटे मेरे अनुज समान श्री हीरालाल (57) अब नहीं रहे। मुझे वर्ष 1982 का वह क्षण याद आ गया जब उन्होंने आकाशवाणी रीवां में नया नया पद ग्रहण किया था ।वे छुट्टी लेकर इलाहाबाद आये थे जहां मैं पदस्थ था ।उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि यदि इलाहाबाद स्थानातरण हो जाय तो वे कुछ काम्पिटीशन की तैयारी भी कर सकते ।मैं गोरखपुर जाने के लिए इच्छुक था ।कुछ ऐसा संयोग मेरे सामने बैठकर उन्होंने म्यूचुअल का आवेदन किया।उनकी और मेरी इच्छाओं को मंजूरी मिल गई थी ।डा.करुणा शंकर दुबे के अनुसार 09 अगस्त 1961 को श्री हीरालाल का जन्म हुआ और 1982 में वे शासकीय सेवा में आये, रीवा में प्रसारण अधिकारी बनकर ।वे जून 1991 में कार्यक्रम अधिकारी बने और वर्ष 2016 में सहायक निदेशक होकर इन दिनों छतरपुर में पदस्थ थे । मित भाषी ,मितव्ययी ,सहज - सरल स्वभाव ही उनका व्यक्तित्व था ।चाहे बनारस ,आगरा ,झांसी, इलाहाबाद या कहीं भी रहे हों ,मधुर संबंध के धनी थे । 

उनके असामयिक निधन पर मैं ही नहीं आकाशवाणी में उनसे जुड़े सारे लोग हतप्रभ हैं।ब्लॉग रिपोर्टर के मन में उनकी आत्मीय स्मृतियां अब भी जीवित हैं ।उनका आकाशवाणी रीवां में प्रसारण अधिशाषी बनना,मेरा श्री बजरंगी तिवारी की जगह आकाशवाणी गोरखपुर से आकाशवाणी इलाहाबाद जबरन स्थानांतरित किया जाना और फ़िर उसी परिदृश्य में श्री हीरालाल का संकटमोचक बनकर स्वयं इलाहाबाद केन्द्र पर आकर इलाहाबाद में मेरी जगह के विकल्प बनने पर सहमति देना एक चमत्कारिक घटनाक्रम था।आगे कुछ ही दिनों में श्री बजरंगी तिवारी गोरखपुर से वाराणसी,मैं ,इलाहाबाद से गोरखपुर और हीरालाल जी रीवां से इलाहाबाद आ गये थे।ऐसी थी उनकी सदाशयता !आकाशवाणी में सहायक निदेशक कार्यक्रम पद से सेवानिवृत्त श्री यतीन्द्र चतुर्वेदी ने उनको याद करते हुए लिखा है - "सन 1982 आकाशवाणी मथुरा से हम लोगों की मित्रता थी, भाई हीरा लाल जी से ।वे तब नये नये प्रसारण निष्पादक के पद पर आये थे बाद में सन 2002 से कुछ समय के लिए आकाशवाणी ग्वालियर पर भी कार्यक्रम अधिकारी के रूप में मेरे साथ रहे। कालांतर में 2011 में मथुरा पंहुचने पर मेरी भेंट अनेक कार्यक्रम बैठकों में होती रहती थी। संयोग वश वे और मैं पुनः मध्य प्रदेश आये तो भी कार्यक्रम बैठकों में हमारी भेंट होती रही। आकाशवाणी भोपाल में जब मेरे सेवा निवृत्त होने से पहले मेरी फेयर वेल पार्टी हुई तो उन्होंने भी मेरे लिए अपने उदगार व्यक्त किये थे। स्व. कार्यक्रम अधिकारी श्री पी एन खरे की श्री हीरा लालजी बहुत ही मदद करते थे। आकाशवाणी मथुरा के वरिष्ठ उदघोषक पंडित श्री कृष्ण शरद के अनुसार वे हिंदी के विद्वान थे तथा काव्य शास्त्र पर गहन रूप से चर्चा भी करते थे। आप समर्पित कार्यक्रम अधिकारी थे किसी भी कार्यक्रम को पुनःप्रसारण के लिए शिड्यूल करने से पहले वो उसे भली भांति सुनते थे।जहां तक मुझे याद है आप आकाशवाणी रीवां,मथुरा, आगरा, ग्वालियर झांसी, वाराणसी, इलाहाबाद, नजीबाबाद, व छतरपुर, आदि केन्द्रों पर पदस्थ रहे, फोन पर भी हमारी आप से काफी चर्चा हुआ करती थी।कुछ समय पहले ज्ञात हुआ कि वे कैंसर से पीड़ित हैं और उपचार के लिए मुम्बई गये हैं। आप का लौटने पर मेरे पास फोन भी आया बहुत ही क्षीण स्वर में बुझे बुझे से मन से मुझ से बातें भी कीं ।यथा संभव मैं हिम्मत रखने की बात करता रहा ।मुझे क्या पता था कि यह मेरी उनकी आखिरी बार बात हो रही है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार को यह असीम दुख सहने की शक्ति प्रदान करे। वे आयु में मुझ से छोटे थे। उनके असामयिक निधन से मन दुखी है। वे मूलतः चित्रकूट बांदा के निवासी थे ।उनको विनम्र श्रद्धांजलि।"


प्रसार भारती परिवार प्रार्थना करता है की ईश्वर उनके आत्मा को शांति दे और उनके शोकाकुल परिवार को इस संकट की घडी को सामना करने की शक्ति प्रदान करे।


द्वारा योगदान :- श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ। मोबाइल9839229128
darshgrandpa@gmail.com

Subscribe to receive free email updates: