Remembering our Bosses - ???? '????'??? , ' ???' ??? ?? ??? ! - ???????? ????? ????????, ????????? ???????(??? ???), ????????, ????


मेरी प्रसारण यात्रा में ढेर सारे सुपर बास ,बिग बास और बास लोगों का सानिध्य मिला ।कुछ अभी भी जीवित हैं और कुछेक ने अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर दी है।रिटायरमेंट के बाद लगभग हाशिये पर चले जाने वाले इन कर्मयोगियों ने शुरुआती दौर में आधुनिक संसाधन विकास साधनो की हीनता के दौर में भी संगठन को अपनी वैशिष्ट्य सेवाएं दी हैं। हम सभी का मार्ग दर्शन किया ।ये आकाशवाणी दूरदर्शन के शुरुआती दौर के कर्मयोगी रहे हैं और उस दौर में इनका मैनुअल काम ही इन्हें पहचान दिला सकी थी ।ख़ास तौर से आकाशवाणी या ऐसी ही मीडिया के कर्मयोगी जिन्हें तैरती हवाओं में,ध्वनितरंगों के माध्यम से अपना जादू बिखेरना होता था,अपना चित्र बनाना होता था ।अपनी भारतीय संस्कृति में दिवंगत पुरखे- पुरनियों को तो आदर- सम्मान देने के लिए बाकायदा साल में एक पखवाड़े की व्यवस्था की गई है (पितृ- पक्ष)किन्तु जीवित कर्मयोगियों को मान सम्मान दिलाने के लिए कोई विधिवत प्रावधान प्राय: निर्धारित नहीं किया गया है । हालांकि पुरनियों को तो आदर- सम्मान देने के लिए बाकायदा साल में एक पखवाड़े की व्यवस्था की गई है (पितृ- पक्ष)किन्तु जीवित कर्मयोगियों को मान सम्मान दिलाने के लिए कोई विधिवत प्रावधान प्राय: निर्धारित नहीं किया गया है । हालांकि आकाशवाणी पुणे ने रिटायर्ड लोगों को मुख्य धारा में बनाये रखने का प्रशंसनीय काम भी पिछले दिनों से शुरु किया है। उसी कड़ी में अपने पुरोधाओं को याद करने के इस मंच को भी मानता हूं।
आकाशवाणी की सेवा में लगभग 37साल की दीर्घ अवधि बिताने के दौरान मुझे भी इन अद्वितीय कर्मयोगियों का साथ मिला । जितने लोग मिले ,उनसे सीखने-समझने के उतने आयाम भी उतने ही खुलते रहे ।कुछ ने सिद्धांत बताए, कुछ ने प्रयोग और कुछ ने हाथ पकड़कर राह तक दिखाई ।चाहे वह उदघोषक कक्ष का कंसोल हो, डबिंग- एडिटिंग रूम की मशीनें,आर० ओ० आर०में स्क्रिप्ट रीडिंग हो, कलाकारों से जन सम्पर्क हो, ओ० बी० रिकार्डिंग के लिए मेलट्रान सरीखी मशीन हो ,टेप-स्पूल हों,वी० आई० पी० कवरेज हो, एनाउंसमेंट या डायलॉग डिलेवरी हो.....!
सबसे पहले जिक्र केन्द्र निदेशक ( स्व० ) श्री इन्द्र कृष्ण गुर्टू का ।1974-75में जब आकाशवाणी गोरखपुर की स्थापना हुई तो वहां के वे पहले निदेशक थे ।मूलतः ड्रामा और संगीत के विशेषज्ञ ।उनके दौर में ड्रामा या संगीत के आडिशन में सफल होना बेहद चुनौतीपूर्ण हुआ करता था ।सौभाग्यशाली हूं एक ड्रामा कलाकार के रूप में मैने भी उनका सानिध्य पाया ।उधर 1977 के दौर के आकाशवाणी इलाहाबाद में (स्व. ) बी० एस० बहल, केन्द्र निदेशक के कार्यकाल में 30अप्रैल को जब मैने प्रसारण अधिशासी के रूप में ज्वाइन किया तो ड्रामा के प्रोड्यूसर (स्व. ) श्री विनोद रस्तोगी,पेक्स सुश्री हीरा चड्ढा, सहायक संपादक आलेख श्रीमती दुर्गा मेहरोत्रा, प्रोडक्शन असिस्टेंट.राजा जुत्शी,प्रोडयूसर नर्मदेश्वर उपाध्याय, पेक्स उमेश दीक्षित(जो आगे चलकर आकाशवाणी दिल्ली के निदेशक भी बने) , पेक्स स्व.विपिन शर्मा, उदघोषिका आशा ब्राउन, प्रोड्यूसर केशव चन्द्र वर्मा,उदघोषिका लता दीक्षित,स्व. पी० डी० गुप्ता, ट्रेक्स श्री डा.एस० के० सिन्हा, उदघोषक नरेन्द्र शुक्ल,प्रोड्यूसर राजहंस जी,ट्रेक्स निखिल जोशी ,सहायक संपादक स्व.कैलाश गौतम,उदघोषिका ऊषा मरवाहा और उनके उदघोषक पति जितेन्द्र मरवाहा, संगीत प्रोड्यूसर मोघे साहब, संगीत कम्पोजर कृपा शंकर तिवारी, सहायक संपादक नरेश मिश्र,ट्रेक्स स्व. बजरंगी तिवारी, उदघोषिका अरिदमन शर्मा, ट्रेक्स कुसुम जुत्शी, जिन्हें मैं गुरुआइन कहा करता था , पेक्स राम प्रकाश जी, प्रोड्यूसर फाक़री साहब,निदेशक और चर्चित साहित्यकार मधुकर गंगाधर , ट्रेक्स शिवमंगल सिंह मानव ,पेक्स महेंद्र मोदी जी आदि का सानिध्य मिला ....हर शख्स अलग अलग मूड और विधाओं का विशेषज्ञ ।आगे चलकर सभी उच्च पदों से रिटायर हुए । सबने मुझ नवांगतुक को दुलार दिया था और सबसे सीखने को बहुत कुछ मिला ।सच मानिए मुझे लगा ही नहीं कि मैं नौकरी कर रहा था ।मुझे हमेशा यही एहसास होता रहा कि मैं अपने सपनों को बहुआयामी रंग रूप देता चला जा रहा हूँ ।वयोवृद्ध प्रोडयूसर नर्मदेश्वर उपाध्याय जब पहली बार मुझे इलाहाबाद से अमेठी प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक वी० आई० पी० कवरेज में साथ ले गये तो रिकार्डिंग टेप मैनें अमूल्य धरोहर की तरह तब तक अपने से चिपका कर रखे रहा जब तक पंडित जी ने रेडियो रिपोर्ट दिल्ली फीड नहीं कर दी और वह ब्राडकास्ट नहीं हो गया ।उधर प्रोडयूसर ग्रामीण प्रसारण वर्मा जी ने ऐसे अवसरों पर जब नियमित कम्पियर्स उपलब्ध नहीं हो पाते ,अपने साथ गोबिन्दी भइया बनाकर बैठे ठाले लाइव कम्पियरिंग के गुण सिखा डाले ।
(क्रमश:)

ब्लॉग लेखक - श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, कार्यक्रम अधिकारी(से० नि०), आकाशवाणी, लखनऊ darshgrandpa@gmail.com

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