दूरदर्शन केन्द्र भुवनेश्वर में हर साल की तरह इस साल भी राजभाषा पखवाड़ा बहुत धूमधाम से मनाया गया। दिनांक 14 सितंबर से 28 सितंबर तक मनाए गये पखवाड़े के दौरान कार्यालय के विभिन्न कर्मचारियों-अधिकारियो के मध्य हिन्दी की 7 अलग अलग प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। दिनांक 14 सितबंर हिन्दी दिवस के मौके पर माननीय गृह मंत्री जी राजनाथ सिंह एवं दूरदर्शन महानिदेशक सुप्रिया साहु जी का संदेश पाठ किया गया। दिनांक 17 सितंबर को कार्यालय में हिन्दी में कामकाज को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। महालेखाकार कार्यालय ( लेखा व हकदारी कार्यालय) के हिन्दी अधिकारी इस कार्यशाला में ब्याखाता के तौर पर आमंत्रित थे। कार्यशाला में कर्मचारियों की भागीदारी उत्साहजनक रही। इसके अलावा पखवाडे के दौरान हिन्दी निबंध, शृतलेखन, आशुभाषण, हिन्दी अंग्रेजी शब्दार्थ, टिप्पण व आलेखन ,प्रश्नोत्तरी, चुटकुला आदि 7 प्रतियोगिताएं एवं एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला आयोजित की गई। इन प्रतियोगिताओं में कूल 84 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पखवाड़े का समापन व पुरस्कार वितरण समारोह 1 अक्तुबर को किया गया। स्थानीय भौतिकी संस्थान में कार्यरत प्रोफेसर अजीत मोहन श्रीवास्तव इस समारोह में मुख्य अतिथि तौर पर आमंत्रित थे। उन्होंने पुरस्कार बिजेताओं को नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र वितरित किए। मुख्य अतिथि ने हिन्दी भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भले ही लोग अंग्रेजी को लेकर गर्व महसुस करते हों मगर अपने दिल की बात तो अपनी ही भाषा में आसानी से कही जा सकती है । उन्होंने कहा कि हिन्दी संघ की राजभाषा होने के साथ जनभाषा के रूप में देश के सर्वाधीक लोगों द्वारा बोली व समझी जाने वाली भाषा है। कार्यालय प्रमुख ध्रुब नन्द ने कहा कि केवल हिन्दी पखवाड़ा के दौरान हिन्दी में काम करने और प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतना अच्छी बात है मगर इससे काम चलने वाला नहीं है । हमें सरकारी कामकाज में हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। कार्यक्रम विभाग के प्रमुख निलाद्री मोहन शतपथी एवं उपनिदेशक मालती सिंह ने हिन्दी में कामकाज के दौरान आने वाली कठिनाईयाँ और उनको दूर करने के उपाय पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एन.एल.चाँद ने बताया कि हमारे कार्यालय में हिन्दी के कामकाज का वातावरण उत्साह जनक है इसे और बढाने की आवश्यकता है । हिन्दी पखवाड़े के दौरान प्रतियोगिताओं का सफल संचालन हिन्दी अधिकारी नारायण दास मावतवाल ने किया।
द्वारा सहयोग :- श्री. प्राणबन्धु बेहेरा