राइटर्स कानक्लेव 2019के राष्ट्रीय समन्वयक श्री करन महाना के हाथों आकाशवाणी लखनऊ के सेवानिवृत्त वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी सम्मानित किये गये हैं।गत 25जनवरी की शाम लखनऊ के एक प्रतिष्ठित होटल में सम्पन्न अयोध्या, गोरखपुर और लखनऊ से शामिल प्रतिभागियों के लिए हुए इस आयोजन में श्री त्रिपाठी ने राष्ट्र प्रेम विषयक अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया ।उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आकाशवाणी की सेवा में रहते हुए उन्होंने गहन राष्ट्र प्रेम का ककहरा सीखा और उनके दोनों पुत्रों ने भारतीय सेना को कैरियर बनाया।एक युवापुत्र लेफ्टिनेंट यश आदित्य ने मात्र 22वर्ष की उम्र में देश के लिए शहादत भी दे दी है।श्री त्रिपाठी ने कहा-"ऐ मेरे प्यारे वतन , वंदे मातरम !
आज़ादी की आबोहवा में तुम ख़ूब फल फूल रहे हो।तुम्हारी सांसों में अब भी मलय पवन सौरभ रसमय हो लहरा रहा है।तुम्हारे क़दमों में अब भी पहाड़ नापने की क्षमता है।बाजुओं में अब भी अशक्त, संसाधन विहीन,पिछड़े और प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित साथियों को हर संकट से उबारकर सुखी और सम्पन्न जीवन दे सकने की ताक़त है।तुम्हारे खेत खलिहानों में मां अन्नपूर्णा अब भी सोना चांदी उगलने की क्षमता रखती हैं।वे बांझ नहीं हैं।नदियों का कलकल निनाद अनवरत जारी है।स्वतंत्रता, समानता और समरसता "सबका साथ सबका विकास" के रुप में नया वितान बनकर सामने आ रहा है।आज़ादी के बाद पहली बार देश को एक संकल्पबद्ध प्रधानमंत्री को उसके जैसा ही संकल्पबद्ध मंत्रीमंडल मिला है।सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश अब विश्व पटल पर एक बार फिर अपनी धाक बनाने जा रहा है।विश्व में अपने देश की सबसे मज़बूत अर्थव्यवस्था इसका सबूत है। हे मेरे गौरव !तुमने तो अतीत में महाभारत जैसे धर्मयुद्ध को देखा है।कौरवों का हाहाकार देखा है,पांडवों की धर्मपरायणता देखी है।किसी न किसी रुप में यह धर्म युद्ध आज भी चल रहा है।राजनीति की बिसात पर हर पांच साल बाद आज भी आसुरी शक्तियां अपना दबदबा बनाने को उद्यत रहती हैं।लेकिन महापुरुषों के इस देश में हमेशा सत्य सत्तारुढ़ होता रहा है।आगे भी होता रहेगा,ऐसा दृढ़ विश्वास है।हां,तुम्हारे सामने ढेर सारी चुनौतियां हैं।बढ़ती आबादी,कृषि उत्पादन, आतंकवाद, पर्यावरण प्रदूषण, कैंसर जैसी घातक बीमारियां,बढ़ता कचरा,गरीबी,बढ़ती आपसी कलुष.....आदि।तुम्हें किसान और जवान दोनों को बराबर की सुविधा और सम्मान देने की चुनौती है।पर्यावरण सुरक्षा की ओर क़दम और तेज़ बढ़ाने हैं और काग़ज रहित व्यवस्था विकसित करनी है।कश्मीर से कन्याकुमारी तक जब एक राष्ट्र, एक कर की प्रणाली है तो एक ही नागरिक संहिता भी बनानी होगी।आगे की आवश्यकता देखकर सड़क,रेल,वायु परिवहन बढ़ाने होंगे तो शुद्ध पेयजल,सबको आवास,सबको स्वास्थ्य सुविधा,स्वच्छता पर भी फोकस करना होगा।सरकार को अपनी सोच,कथनी,करनी में एकरुपता लाकर इस उद्देश्य को पाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हे मेरे देश,
तुम्हारा तपोबल अब भी अजेय है।तुम्हीं तो वह एकमात्र देश हो जिससे भय भी भय खाता है।तुमने हमेशा अपूर्ण विश्व को पूर्णता प्रदान की है।इसी धरती से फलाफल का भाव तजकर कर्मपथ पर चलते रहने का संदेश गूंजा था।इसीलिए मैं ,एक अदना नागरिक ,अब भी यह मानता हूं कि तुममें सत्य,शिव और सौंदर्य का अद्भुत समन्वय है।अब समय आ गया है कि तुम विश्व में आसन्न संकट के बादल को बाहों में भर लो,अपने अंक में बिजलियाँ लपेट लो,चरणों में सर्वश्रेष्ठ विकास की दूरियां समेटते हुए पूरे नभ को अपने पदचापों से भर दो !दिग्विजयी मनु के बेटों,इन्द्रधनुष क़दमो में रख लो,अंतरिक्ष को अपना घर बना लो,तारों की सीढ़ियां उतर लो और ईश्वर का नाम लेकर विश्व में भारतीय ध्वज लहराकर का एक और अनहोनी कर लो ! मैं जानता हूं कि कमल के समान अपने देश का विकास पुष्प भी हर चुनाव पर्व पर उस सूर्य की प्रतीक्षा में रहता है जिसके उदित होते ही वह खिल खिल उठे !वह बहु प्रतीक्षित पर्व भी आसन्न है।एक क्या असंख्य सूर्य तैयार हैं तुम्हें खिलते हुए देखने को ।आओ,गर्व और गौरव का एक नया इतिहास लिखा जाय।"
करतल ध्वनियों से श्री त्रिपाठी के सम्बोधन का समापन हुआ।इसके बाद उनको अन्य लोगों के साथ सहभागिता प्रमाण पत्र और पुरस्कार भी दिया गया।प्रसार भारती परिवार को अपने इन सेवानिवृत्त सहयोगी की कर्मठ सक्रियता पर नाज़ है।