23दिसंबर 2018से 01जनवरी 2019 के मध्य केन्द्रीय विद्यालय संगठन,लखनऊ संभाग की ओर से प्राथमिक शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर 2018-19 में यूं तो एक प्रतिभागी के रुप में शहीद लेफ्टिनेंट यश आदित्य त्रिपाठी की मां श्रीमती मीना त्रिपाठी(पत्नी श्री प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, सेवानिवृत्त कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी) अपने विद्यालय के.वि.,कैंट,लखनऊ का प्रतिनिधित्व कर रही थीं लेकिन उन्हीं अवधि में एक समय ऐसा भी आया जब उनके साथ साथ भावुक हो उठा पूरा समुदाय....
यह अवसर था जब के.वि.सं.के असिस्टेंट कमिश्नर और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभागियों से अपने अपने जीवन के कुछ मर्मस्पर्शी संस्मरणों को सभी के बीच शेयर करने के लिए कहा। एक 22वर्ष के युवा शहीद की मां ने उन कठिनतम क्षणों को जब अपनी हिचकियों,आंसुओं के गारा माटी के साथ शब्द देना शुरु किया... जब वर्ष 2007में 29अगस्त की दोपहर यश आन ड्यूटी 7मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की मिलिट्री स्पेशल ट्रेन की सुरक्षा करते हुए बुरी तरह आग में झुलस गये..और लुधियाना के सी.एम.सी.हास्पिटल के बर्न यूनिट में और फिर आई.सी.सी.यू.में मौत से दो दो हाथ करते रहे..और..और अंततः मातृभूमि के लिए हंसते हंसते अपनी शहादत दे बैठे थे..जब एक हरी भरी बगिया यकायक वीरान हो उठी थी..
...एक अपार,अशब्द दुख जिसे अब तक मां का हृदय सहता आ रहा है..
...तो,..तो..पूरा समुदाय सिहर उठा..पूरी क़ायनात रो उठी..
एक शहीद के परिजनों का दुख कैसा होता है,चक्रवृद्धि व्याज की तरह किस तरह हर क्षण परवान चढ़ता ही रहता है..इसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन है..नि:शब्द इन चित्रों की क़सम..जो उसी क्षण के हैं....
प्रसार भारती परिवार को गर्व है कि उसके पास ऐसे शहीदों की वीर माताओं का गौरव है।