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दिनांक ३० दिसम्बर २०१८ को लखनऊ में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के 42 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में समकालीन ग़ज़ल के सशक्त हस्ताक्षर एवं आकाशवाणी वाराणसी में वरिष्ठ उदघोषक के पद पर कार्यरत अभिनव अरुण को उनके ग़ज़ल संग्रह ''बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं'' के लिए प्रतिष्ठित ''दुष्यंत कुमार पुरस्कार'' प्रदान किया किया गया | उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री राम नाइक ने अभिनव अरुण समारोह में पुरस्कार प्रदान किया| यशपाल सभागार , हिंदी भवन, लखनऊ में संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में आज अपराहन आयोजित समारोह में अभिनव अरुण को पुरस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र ,अंग वस्त्र,सम्मान प्रतीक और पचहत्तर हज़ार रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की गयी | संस्थान के निदेशक श्री शिशिर और प्रदेश के मुख्य सचिव भाषा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। समारोह का संचालन संस्थान पत्रिका की संपादक डॉ अमिता दुबे ने किया।
साहित्य, प्रसारण और पत्रकारिता में पिछले ढाई दशक से सक्रिय सम्प्रति आकाशवाणी वाराणसी में वरिष्ठ उद्घोषक के रूप में कार्यरत अरुण पाण्डेय''अभिनव अरुण'' के दो ग़ज़ल संग्रह ''सच का परचम'' एवं ''बादल बंद लिफाफे हैं '' और एक कविता संग्रह''मांद से बाहर'' प्रकाशित एवं चर्चित हो चुके हैं | साथ ही ' सारांश समय का ', 'बनारस की हिन्दी ग़ज़ल ' , 'त्रिसुगंधि', 'पुष्पगंधा' , 'समकालीन हिंदी ग़ज़लकार-खण्ड-३' व ' प्राची की ओर ' साझा संकलनों में उनकी रचनाएँ शामिल हैं | इसके अलावा विभिन्न लोकप्रिय राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रमुखता से प्रकाशित एवं आकाशवाणी दूरदर्शन से प्रसारित होती रहती हैं | मंचो पर ग़ज़लों की प्रभावी प्रस्तुति के लिए लोकप्रिय अभिनव अरुण को 'भारतीय लेखक शिविर २०१२ – बनारस' में कविता का प्रथम पुरस्कार ,प्रगतिशील ग़ज़ल लेखन हेतु ''परिवर्तन के प्रतीक २००९'' सम्मान (परिवर्तन, वाराणसी ) ,आगमन साहित्य सम्मान २०१४ ''एवं ''आगमन भूषण सम्मान२०१६'' (आगमन ,दिल्ली ) , ग़ज़ल लेखन हेतु ''दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान २०१४'' ('संभाव्य'संस्था व पत्रिका, भागलपुर बिहार ) , और काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका(लखीमपुर खीरी)द्वारा साहित्यिक-सामाजिक योगदान के लिए ''काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान २०१७'' सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हैं | 
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो. वशिष्ठ अनूप , जो स्वयं ख्यात गज़लकार हैं के शब्दों में अभिनव अरुण ज़िन्दगी के कवि हैं और जिंदगी के सभी पहलू उनकी ग़ज़लों में प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत होते हैं | वह रोज़ मर्रा की साधारण सी बातों को अपने अशआरों में पेश करते हैं तो वह असाधारण एवं प्रभावशाली लगती हैं | अपनी बात सादगी से बेलौस कहने में अभिनव अरुण को महारथ हासिल है | किसानो - मजदूरों, प्रकृति –पर्यावरण ,प्रेम – विछोह , छीजते मानवीय मूल्यों के प्रति चिंता, अन्याय का प्रतिकार ,सामाजिक विद्रूपताओं पर प्रहार सभी का साक्षात्कार उनकी ग़ज़लों में किया जा सकता है | अभिनव अरुण की शायरी उम्मीद और ताक़त की शायरी है | प्रो. अनूप के शब्दों में अभिनव नए दौर के प्रगतिशील एवं संभावनाओं से परिपूर्ण मुकम्मल शायर हैं |

स्त्रोत :- श्री. अभिनव अरुणजी के फेसबुक अकाउंट से 

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