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कादर खान का जीवन जो अफगानिस्तान की दुरुहता से शुरू हुआ. उनका वो जीवन जिसमें वो लेखक भी थे टीचर भी और अदाकार भी. उनका वो जीवन जिसका एक अहम हिस्सा धारावी से भी बदतर झोपड़पट्टी में गुज़रा, जिसमें दर्द थे, दुःख थे, ढेरों थे. लेकिन फिर भी जो उम्मीदों से भरा था.

कादर खान काबुल में जन्मे. उनसे पहले पैदा हुए उनके तीन और भाई एक-एक कर बचपन में ही गुज़र गए. मौत का कोई ज्ञात कारण नहीं था. क्यूंकि गरीबी से कोई नहीं मरता ऐसा कई लोगों को कहते सुना है.

खैर मां का दिल तो मां का ही ठहरा. घर में तीन मौतों के बाद उससे न रहा गया. बेटे को लेकर बॉम्बे आ गई. बॉम्बे, जो आज मुंबई है.

ये कोई हम मध्यमवर्गियों की एक शहर से दूसरे शहर शिफ्टिंग तो थी नहीं, कि वहां ठिया-ठिकाने की पहले ही व्यवस्था हो. तो रहना पड़ा कमाठीपुरा. कमाठीपुरा, मुंबई का झोपड़पट्टी वाला इलाका. धारावी सरीखा, बल्कि उससे भी बदतर, कहीं बदतर. कादर खान ने क्लास वन से लेकर ग्रेजुएशन तक का एक लंबा समय वहीं बिताया. मां चाहती कि बेटा खूब पढ़े, कादर का पढ़ने में मन भी रमता, लेकिन मां की हालत पर तरस भी आता.

कॉनी हाम की लिखी किताब 'शो मी योर वर्ड्स – द पावर ऑफ़ लैंग्वेज इन बॉलीवुड' के एक किस्से के अनुसार इसी के चलते एक दिन निकल पड़ा पैसों का जुगाड़ करने, छोटा-मोटा काम ढूंढने. लेकिन कंधे पर एक हाथ का अहसास हुआ. वो हाथ मां का था. बोली – मुझे पता है कि तू रुपए कमाने जा रहा है, लेकिन तेरे दो या तीन रुपयों से हमारी गरीबी कम नहीं होने वाली. ग़रीबी कम करने का एकमात्र उपाय है तेरी पढ़ाई.

इस एक बात का कादर के मन में गहरा प्रभाव पड़ा. उसने सारे अभावों के बावज़ूद पढ़ना ज़ारी रखा और एक दिन इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.

बेस्ट को आखिर कौन खोना चाहेगा. इसलिए 'गंगा जमुना सरस्वती', 'कुली', 'अमर अकबर एंथनी' जहां मनमोहन देसाई की थी, वहीं 'शराबी', 'लावारिस' और 'मुकद्दर का सिकंदर'  इन सबके डायलॉग लिखे, कादर खान ने. मनमोहन देसाई अपनी सफलता का क्रेडिट कादर खान को भी देते हैं. कहते हैं – उन्हें बोलचाल के मुहावरे का अच्छा ज्ञान है. मैंने उनसे बहुत सीखा है.

लेकिन सिर्फ यही फ़िल्में ही नहीं थीं जिनके लिए उन्होंने लिखा. कुल 300 फिल्मों में काम किया और 250 के लगभग फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे. 1971 से शुरू हुआ उनका फ़िल्मी सफ़र अंत-अंत तक ज़ारी रहा.

पहला ब्रेक मिला मनमोहन देसाई से. उस वक्त वो रोटी फिल्म बना रहे थे. लेकिन उन्हें डायलॉग लिखने वाला कोई नहीं मिल रहा था. कादर खान के रूप में उनकी तलाश पूरी हुई. कादर खान नाटकों के लिए भी लिखा करते थे.

आज देश के जाने-माने अभिनेता कादर खान हमारे बीच नहीं रहे। 81 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया है। 
सोर्स और क्रेडिट : https://www.thelallantop.com/bherant/4-interesting-trivia-about-veteran-actor-kader-khan-who-passed-away-on-01-january-2019/

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