वर्ष 1935में जन्में आकाशवाणी के पुरोधा जनाब विलायत जाफरी साहब को देख सुनकर कोई उनकी उम्र का अनुमान नहीं लगा सकता है।लखनऊ और आसपास की हर सांस्कृतिक,संगीत और साहित्यिक महफ़िलों की वे अब भी शान बने हुए हैं।कल 15दिसंबर को लखनऊ में सम्पन्न मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन की ओर से मुनक्किद उर्दू अकादमी सभागार में सजी महफिल इस बात की गवाह बनी।कारवां ए अवध के तहत "ज़माने से आगे तो बढ़िए मजाज़"उन्मान के तहत उन्होंने शायर मजाज़ की लिखी गई आवारा नज़्म के बारे में विस्तार से बताया ।उन्होंने कहा कि मजाज़ ख़ामोश हो गया है लेकिन उनके नग़में ख़ामोश नहीं होंगे ।जनाब अहमद इरफान अलीग की सदारत में सजी इस महफिल में उनके अलावे वरिष्ठ पत्रकार इब्राहिम अलवी,अली ख़ान महमूदाबादी,सोहेल खान हमद फ़ारुकी,शकील अहमद किदवई, तारिक सिद्दीकी आदि ने भी शिरकत की ।
स्त्रोत :- दैनिक जागरण(लखनऊ)
ब्लॉग लेखक :- श्री. प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी, लखनऊ।
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